Saturday 31 December 2011

अलविदा २०११, स्वागतम २०१२


आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम . सबसे पहले आप सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं . साल के पहले दिन की शुरुवात रविवार यानी छुट्टी के दिन से हो रही है और मेरे लिए ख़ुशी की बात यह है की पहले दिन ही आपसे रूबरू हो रहा हूँ . अभी हिमालय की सर्द वादियों में अपने पूरे परिवार के साथ छुट्टी मना रहा हूँ , लम्बे अंतराल के बाद कुछ वक्त मिला था सोचा इसका सदुपयोग कर लिया जाये क्योंकि दो दिन बाद से एक बार फिर काम में जुट जाना है .फिर महीनों तक आराम का वक़्त नहीं मिलने वाला है . आज मेरे बड़े भाई सामान श्री आर.एन.सिंह जी का जन्मदिन भी है , मेरी तरफ से उन्हें जन्मदिन की ढेर सारी बधाई ,
आज साल का पहला दिन है मतलब खुशियों का दिन लेकिन बीते साल की कुछ खट्टी मीठी यादें भी है . मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर बीता साल काफी अच्छा रहा है क्योंकि इस दौरान कई बड़ी फिल्मो की शूटिंग मैंने पूरी की . अंतिम शूटिंग मेरी थी साल के आखिरी सप्ताह में डेंजरस इश्क की जिसे बना रहे हैं विक्रम भट्ट और एक खासियत इस फिल्म की ये भी है की इस फिल्म से करिश्मा कपूर की वापसी हो रही है . फिल्म के बारे में ज्यादा चर्चा फिलहाल नहीं करूँगा बस इतना ही कहूँगा की एक अद्भुत प्रेम कहानी आपको इस फिल्म में मिलेगी मेरे और करिश्मा कपूर के बीच की . वैसे नए साल में मेरी कई फिल्मे आ रही है . लेकिन पहली फिल्म एक मजेदार फिल्म है जो मकर संक्रांति पर आ रही है , जिसकी आजकल काफी चर्चा है . आप समझ ही गए होंगे मैं चालीस चैरासी की बात कर रहा हूँ. इस फिल्म को निर्देशित किया है ह्रदय शेट्टी ने और मैं इस फिल्म में नसीर सर , के.के. मेनन और अतुल कुलकर्णी के साथ नजर आऊंगा . मैं अपने मूह से खुद इस फिल्म की तारिफ नहीं करूँगा वो मैं आप लोगो पर छोड़ देता हूँ लेकिन मैं नसीर सर की तारिफ अवश्य करूँगा क्योंकि वो अभिनय के अथाह सागर हैं नसीर सर अपने आप में एक संस्थान की तरह हैं. उनके पास अभिनय का दो दशकों से भी अधिक समय का अनुभव है और उनके इस अनुभव से मैंने काफी कुछ सीखा है. मैं पूरी तरह उनके प्रभाव में हूं, क्योंकि वो बहुत ही ईमानदार, भद्र और अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं. उनके जीवन में पैसा मायने नहीं रखता. सच में मुझे उनके साथ काम करते बड़ा मजा आया. के.के और अतुल भी बहुत अच्छे अभिनेता है और हम चारो की जुगल बंदी आपको रोमांच से भर देगी . खैर , इस फिल्म की चर्चा आगे करूँगा फिलहाल इस का प्रोमोशन जम कर चल रहा है . सबसे दिलचस्प बात तो यह है की बरसो पहले जिस गाने ( हवा हवा अई हवा खुशबू लूटा दे ) की धूम मची थी उसका आनंद आप इस फिल्म में भी उठा सकते हैं .
बीते साल हमने कला क्षेत्र के कई विभूतियों को खोया है पंडित भीम सेन जोशी, भूपेन हजारिका , शम्मी कपूर , देव आनंद साहब जैसे कुछ ऐसे नाम हैं जिहोने भारतीय कला क्षेत्र को नया आयाम दिया . उन सभी को मेरी भावभीनी श्रधांजलि . अगले रविवार फिर आपसे मुलाकात होगी . आप मेरा ये स्तम्भ मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में भी हर रविवार पढ़ सकते हैं .. आपका नया साल शुभ हो , आप लोगो की सारी मनोकामनाएं पूरी हो इसी आशा के साथ आपसे विदा चाहता हूँ .
आपका
रवि किशन

Sunday 25 December 2011

जय भोजपुरी : जय भोजपुरिया



आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम . सबसे पहले आप सभी को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाये : आने वाला साल आप सभी के जीवन में ढेर सारी खुशियाँ लाये , यही प्रार्थना है मेरी भगवान से . बीता साल जो अब चंद दिनों का मेहमान है , को विदाई देते हुए हर किसी को अपना आकलन करना चाहिए की मैंने क्या खोया , क्या पाया, क्या पाया जा सकता था जो मैंने नहीं पाया आदि आदि. यानी बीता साल हर किसी के लिए महत्वपूर्ण होता है . मेरे लिए भी बीता साल काफी महत्वपूर्ण रहा है . सच कहूँ तो मेरे कैरियर के अच्छे साल में से एक है साल 2011 . बचपन में मेरी नन्ही आँखों ने एक सपना देखा था , की कुछ ऐसा करूँ की सारी दुनिया मुझे पहचाने , मुझे जाने और मेरे माता पिता , गुरुजनों को मुझपर गर्व हों और इसे पाने के लिए मेरे नज़र में तीन ही ऑप्शन थे क्रिकेट , राजनीति और फिल्म . मैंने खुद को टटोला तो पाया की अभिनय तो मेरे शरीर का एक हिस्सा है. फिल्मो का शौक था , फिल्म देखकर सोचता था मैं कब परदे पर आऊंगा ? मुंबई आया संघर्ष किया वो भी ऐसा संघर्ष जिसे करना आसान नहीं था . हमारे संघर्ष के दौर में मनोरंजन क्षेत्र में काम पाने के इतने माध्यम नहीं थे और मुझ जैसे बिना किसी गॉड फादर के यहाँ जगह बनाना मुश्किल था . मैंने हिम्मत नहीं हारी और मेरा साथ दिया मेरी भाषा भोजपुरी ने . आज मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है की आज हिंदी फिल्म जगत के बड़े बड़े निर्माता निर्देशक अगर मुझे अपनी फिल्मो में काम दे रहे हैं तो उसकी एक वजह भोजपुरी भी है . आप सोच रहे होंगे आखिर मैं अपनी संघर्ष गाथा क्यों बता रहा हूँ , दरअसल बीते साल में हिंदी फिल्म जगत ने मुझे काफी इज्ज़त प्रदान की . आप लोगो को पता ही है की मैं पिछले कई सप्ताह से हिंदी फिल्मो की शूटिंग में व्यस्त हूँ. सैफ अली खान की होम प्रोडक्शन एजेंट विनोद की शूटिंग के बाद जिला गाज़ियाबाद, फिर इसक और विक्रम भट्ट साहब की डेंजरस इश्क की शूटिंग में व्यस्त रहा . भोजपुरी की कई फिल्मे मेरे पास आई लेकिन व्यस्तता के कारण मैंने उसे आगे कर दिया . आप लोगो को लग रहा होगा की मैंने भोजपुरी फिल्मो से किनारा कर लिया है , लेकिन ऐसा है नहीं , मैं कभी भी भोजपुरी फिल्मो से अपना नाता नहीं तोड़ सकता , क्योंकि आपके प्यार ने ही आज मुझे हिंदी के बड़े बड़े कलाकारों के साथ काम करने का मौका दिया है. एक ऐसी ही फिल्म है चालीस चौरासी जो मकर संक्रांति के अवसर पर १३ जनवरी को रिलीज़ हो रही है . इस फिल्म में आप अपने भोजपुरिया रवि किशन को बिल्कुल अलग अंदाज़ में देखेंगे . चालीस चौरासी को निर्देशित किया है मेरे दोस्त ह्रदय शेट्टी ने . फिल्म में नसीरुद्दीन सर , के.के.मेनन और अतुल कुलकर्णी मेरे साथ हैं. ह्रदय जी ने एक अच्छी फिल्म बनायीं है , मुझे पूरा भरोसा है की आपलोगों को ये फिल्म अवश्य पसंद आएगी . नए साल की शुरुवात फिर से भोजपुरी फिल्मो की शूटिंग से कर रहा हूँ . लगभग आधा दर्ज़न फिल्मो की शूटिंग अगले चार महीनो में मुझे पूरी करनी है . खैर , नए साल के पहले दिन यानी अगले सप्ताह मैं जब आप मेरा स्तम्भ पढ़ रहे होंगे तब मैं शिमला और मनाली की ठंढी का आनंद ले रहा होऊंगा , काफी समय से परिवार से थोडा कटा रहा हूँ इसीलिए पत्नी और बच्चों के साथ छुट्टी मनाने जा रहा हूँ . परिवार का साथ हो तो काम का बोझ समाप्त हो जाता है . अगले सप्ताह फिर आपसे मुलाकात होगी . आप मेरा ये स्तम्भ मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में भी हर रवि वार पढ़ सकते हैं . नए साल के पहले दिन आपसे फिर बात होगी
आपका रवि किशन

Saturday 3 December 2011

भोजपुरिया माटी के लाल राजेन्द्र बाबु


आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम . फिलहाल जोधपुर की ठंढी के बीच विक्रम भट्ट साहब की फिल्म डेंजरस इश्क की शूटिंग में व्यस्त हूँ और यही से अपने दिल की बात आपसे बयान कर रहा हूँ.आज का दिन ना सिर्फ देश के लिए बल्कि हम भोजपुरी फिल्म जगत वालों के लिए भी ख़ास है क्योंकि इस दिन देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती है . बिहार के सिवान के जीरादेई गाँव में एक मध्यम वर्ग के परिवार में जन्म लेने वाले राजेंद्र बाबु मेरी नज़र में भोजपुरी क्षेत्र के सबसे प्रकांड विद्वान् थे . मैंने पढ़ा था बचपन में उनके बारे में की कोलकाता के जिस प्रेसिडेंसी कोलेज में वो पढ़ते थे वहाँ के शिक्षक भी उन्हें खुद से ज्यादा काबिल समझते थे . सादा जीवन उच्च विचार के प्रतिमूर्ति राजेंद्र बाबू के बारे में उनकी परीक्षा पुस्तिका की जांच करने वाले शिक्षक ने लिखा था की छात्र शिक्षक से कहीं जायदा जानकार है. यहाँ इस बात का जिक्र करने का मेरा मकसद यह है की हमारी धरती ने एक से बढ़कर एक माटी के लाल को जन्म दिया है जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में अपने कार्यों से पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. बात राजेन्द्र बाबु की कर रहा हूँ तो शायद कम लोगो को ही पता होगा की जिस भोजपुरी फिल्म जगत में लाखो लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम कर अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं इसकी शुरुवात राजेन्द्र बाबु ने ही करवाई थी. राजेन्द्र बाबु का भोजपुरी भाषा के प्रति प्रेम जग जाहिर है . उस दौर में भोजपुरी फिल्मे बनती नहीं थी . भोजपुरी फिल्मो के पहली फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ थी और इस फिल्म की कहानी तैयार की थी भोजपुरी फिल्मो के भीष्म पितामह कहे जाने वाले नाजीर हुसैन साहब ने. नाजिर साहब भोजपुरी भाषा में फिल्म बनाने को आतुर थे और उन्हें इसकी प्रेरणा मिली थी राजेंद्र बाबु से . राजेंद्र बाबु ने उस समय उन्हें कहा था की अगर संयम और हिम्मत है तो आगे बढ़ो हम आपके साथ है. सबसे दिलचस्प बात तो ये है की इस फिल्म के निर्माण का बीड़ा उठाने वाले विश्व नाथ प्रसाद शाहाबादी को नाजीर हुसैन से मिलवाया भी था राजेंद्र बाबु ने ही . १६ फरवरी १९६१ को खुद राजेन्द्र बाबु ने ही पहली फिल्म का मुहूर्त पटना के शहीद स्मारक के पास किया था. अब आप लोगो को पता चल ही गया होगा की आज जिस फिल्म जगत की बदौलत हम अपना नाम रोशन कर रहे हैं वो राजेंद्र बाबु की ही देन है. आज भले ही फिल्म जगत में इसकी कोई चर्चा नहीं होती हो लेकिन हमें भोजपुरिया माटी के लाल राजेंद्र बाबु के इस देन पर गौरवान्वित होना चाहिए . चलते चलते मैं आपसे पिछले दिनों की एक अद्भुत संस्मरण से आपको अवगत कराना चाहता हूँ. मेरी बड़ी चाहत थी की मैं अजमेर शरीफ जाकर ख्वाजा के दरबार में चादर चढाऊं , भले ही मैं ब्रह्मण का बेटा हूँ और महादेव का भक्त लेकिन मेरी आस्था सभी धर्मो में है क्योंकि सभी धर्म प्यार और भाईचारा सिखाता है. जोधपुर में शूटिंग करने के कारण वहाँ जाने की मेरी इच्छा पूरी हो गयी . मैंने चादर चढ़ा कर कई घंटे वहाँ बिताये , काफी सुकून महसूस किया. मुझे कुछ वैसी ही अनुभूति मिली जैसा की किसी मंदिर में जाकर मिलती है. मैं ब्राह्मण का बेटा हूँ, महादेव का परम भक्त हूँ लेकिन सभी धर्मो में मेरी अपार श्रधा और आस्था है क्योंकि सभी धर्मो का सार है प्यार और भाई चारा और वैसे भी मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना . चलते चलते मैं मुंबई के अपने मिडिया से जुड़े भाई बहनों से माफ़ी चाहता हूँ की मैं अपनी फिल्म चालीस चौरासी के फर्स्ट लुक के मौके पर उनके समक्ष मौजूद नहीं था. आप मेरा ये ब्लॉग मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर के रविवार के विशेषांक में भी पढ़ सकते हैं. अगले सप्ताह फिर मुलाकात होगी
आपका
रवि किशन

Friday 25 November 2011

महादेव ने बचाई जान ...


आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम . भगवान शिव का लाख लाख शुक्र है की आज मैं आपसे अपने दिल की बात शेयर कर रहा हूँ. वरना ये भी हो सकता था की आप लोगो से रिश्ता तोड़ शायद मैं यहाँ नहीं रहता . अभी फिलहाल मैं जोधपुर में विक्रम भट्ट साहब की फिल्म डेंजरस इश्क की शूटिंग कर रहा हूँ और आज ही बिहार में मेरी फिल्म हमार देवदास ( देवदास का भोजपुरिया रूप ) रिलीज हुई है . इन फिल्मो के बारे में थोड़ी चर्चा बाद में करूँगा पहले उस हादसे को आपसे बाटना चाहता हूँ जिसे मैंने पिछले शनिवार को बनारस में झेला था. पिछले शनिवार की रात मैं बनारस में हिंदी फिल्म इसक की शूटिंग में व्यस्त हो गया था. निर्माता शैलेश सिंह की इस फिल्म का निर्देशन मनीष तिवारी कर रहे हैं . कई दिनों से वहाँ रात में ही शूटिंग चल रही थी . हादसे वाली रात बनारस के घाट के पास ब्रिज पर शूटिंग चल रही थी. भोर के चार बजे उस रात का दृश्य अपनी चरम पर था . दृश्य के मुताबिक मैं अपनी गाडी से आता हूँ , सामने से एक ट्रक मेरा रास्ता रोकता है. दृश्य शुरू हुआ और अचानक तेज गति में आ रही ट्रक का ब्रेक फेल हो गया, जिससे ट्रक सीधा मेरी गाडी से आ टकराया . मेरी सोचने समझने की शक्ति तो उसी वक्त ख़तम हो गयी थी जब मुझे आभास हो गया था की ट्रक टकराने वाली है , लेकिन किसी अदृश्य शक्ति, जो निसंदेह मेरे अराध्य देव महादेव की थी के कारण मुझे यकायक चेतना आई और मैंने छलांग लगा दी, हालंकि थोड़ी देर हो चुकी थी लेकिन फिर भी पैरों में काफी चोट लगने के वावजूद मैंने खुद को सही सलामत पाया . मेरी गाडी की हालत देखकर मुझे लगा की पल भर की देरी मेरे लिए घातक साबित हो सकती थी. मैंने सबसे पहले अपने महादेव का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने उस कठिन पल में मेरे सोचने समझने की शक्ति मुझे वापस कर दी. मेरे दिन की शुरुवात हर हर महादेव से ही होती है और आपने महुआ चैनल का मेरा कोई भी शो देखा होगा तो उसमे मैंने उन्हें याद किया ही है. मेरा सही सलामत होना उनके प्रति मेरी भक्ति और आस्था का ही परिणाम है. इंसान को भगवान पर आस्था रखनी ही चाहिए ,क्योंकि भगवान में आस्था से सारे दुःख दर्द दूर हो जाते हैं , आपको लग रहा होगा की मेरी आस्था ने अंधविश्वास का रूप ले लिया है , अगर ऐसा है तो आप गलत सोच रहे हैं क्योंकि इसे सिर्फ हम ही नहीं वैज्ञानिक भी मानते हैं. वो अब मानते हैं की ईश्वर में आस्था रखने वाले लोग सकारात्मक रवैया अपनाकर दर्द को कम कर सकते हैं , आप सोच रहे होंगे की क्या ये सच है ? तो आपको बता दूं की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने ईश्वर की आस्था की परखने के लिए बरसो पहले एक टेस्ट किया था. टीम ने 12 आस्तिक और 12 नास्तिकों को इलेक्ट्रिक शॉक दिया गया. इस दौरान ये लोग वर्जिन मैरी और लियोनार्दो द विंची की श्लेडी विद एन अर्माइनश् पेंटिंग्स को देख रहे थे. इन लोगों को आधे घंटे तक एमआरआई स्कैनर में रखा गया, उन्हें चार सेशनों में 20 झटके दिए गए. जब वे पेंटिंग की ओर देखते थे, तो उन्हें होने वाले दर्द को माप लिया जाता था. वैज्ञानिकों ने देखा गया कि भगवान के प्रति आस्था रखने वालों को कम दर्द हुआ, ब्रेन स्कैनिंग से देखा गया कि उस दौरान आस्तिकों के दिमाग में दर्द सहन करने वाला हिस्सा ज्यादा ऐक्टिव हो जाता था, इसके उलट, नास्तिकों के दिमाग में दर्द को सहन करने से जुड़ी कोई ऐक्टिविटी नहीं दिखी . मैंने यहाँ इसीलिए इसका जिक्र किया क्योंकि मेरा खुद का मानना है की आस्था में बहुत बड़ी शक्ति छुपी होती है. खैर , मैं खुद को खुशनसीब मानता हूँ की भगवान महादेव ने मेरी जान बचा ली. उन्होंने ही हमें इस दुनिया में भेजा है और जब भी जाऊंगा उनकी ही मर्जी से जाऊँगा . चलते चलते मैं आपसे मेरी आज रिलीज़ हुई मेरी फिल्म हमार देवदास की थोड़ी चर्चा करना चाहता हूँ. निर्देशक किरण कान्त वर्मा ने कम बजट में देवदास जैसी कहानी को अच्छे अंदाज़ में भोजपुरी में पेश किया है. एक साफ़ सुथरी भोजपुरी फिल्म देवदास जल्द ही मुंबई के सिनेमा घरो में भी दस्तक देगी , आप मेरा यह स्तम्भ मुंबई से प्रकाशित लोकप्रिय हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर रविवार पढ़ सकते हैं . आप अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव हमें अवश्य दें .
आपका अपना
रवि किशन

Saturday 12 November 2011

ZILA GAZIABAAD


जिला गाजियाबाद
आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ला का प्रणाम. आज ही (शुक्रवार) बनारस से लौटा हूँ और मुंबई में अपने मित्र विनोद बच्चन की फिल्म जिला गाजियाबाद की शूटिंग कमलिस्तान स्टूडियो में कर रहा हूँ . जिला गाजियाबाद की चर्चा मैं बाद में करूँगा सबसे पहले देश की सांस्कृतिक राजधानी बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के देव दीपावली का जिक्र जरूर करना चाहूँगा. आप सभी को मैं कार्तिक पूर्णिमा की बधाई देता हूँ. हमारे जो भाई बनारस या उसके आस पास के होंगे उन्हें काशी की देव दीपावली की जानकारी होगी ही , लेकिन आप में से बहुत लोग ऐसे होंगे जिन्हें शायद इनकी जानकारी ना हो , इसीलिए मैं आपसे अपना अनुभव शेयर करना चाहूँगा . बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी की बात ही निराली है . पूरा शहर मुझे भक्तिमय लगता है. दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा आता है और इस दिन का यहाँ के बच्चे , बूढ़े , जवान, माता बहनों को बेसब्री से इंतजार रहता है. एक तरफ तो वो इस पवित्र दिन गंगा मैया के चरणों में आकर पुण्य के भागीदारी बनते हैं तो दूसरी ओर देव दीपावली का नजारा देव लोक का आभास दिलाता है. आप लोगो को पता ही है की शरद ऋतु को भगवान श्रीकृष्ण की महा रासलीला का काल माना जाता है. शीमद भगवत गीता में इसका उल्लेख मिलता है और उसमे कहा गया है की शरद पूर्णिमा की चांदनी में श्रीकृष्ण का महारास सम्पन्न हुआ था. एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शंकर ने देवताओं की प्रार्थना पर राक्षस त्रिपुरा सुर का वध किया था, परम्परा और आधुनिकता का अदभुत संगम देव दीपावली धर्म परायण महारानी अहिल्याबाई से भी जुड़ा है. अहिल्याबाई होल्कर ने प्रसिद्ध पंचगंगा घाट पर पत्थरों से बना खूबसूरत हजारा दीप स्तंभ स्थापित किया था जो इस परम्परा का साक्षी है. आधुनिक देव दीपावली की शुरुआत दो दशक पूर्व यहीं से हुई थी . देव दीपावली की तैयारी यहाँ के लोग साथ दिन पहले से ही शुरू कर देते हैं , घाटो को सजाया संवारा जाता है , शाम के समय गंगा के करीब 10 किलोमीटर में फैले अर्द्धचन्द्राकार घाटों तथा लहरों में जगमगाते, इठलाते बहते दीपो के कारण गंगा मैया की छटा अद्भुत लगती है . कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर काशी में होना मानो जैसे मेरे लिए भगवान से मिलने के सामान था . हजारो की भीड़ के साथ गंगा मैया की जय और हर हर महादेव का उदघोष एक भक्तिमय जोश का संचार करता है. मैं खुशनसीब हूँ जिसे ऐसा अवसर प्राप्त हुआ है. ऐसा लगता है जीवन सफल हो गया . खैर दो तीन दिन बाद मुझे फिर से बनारस जाना है जहाँ फिर से इसक की शूटिंग करनी है . जिला गाजियाबाद की शूटिंग के कारण मुझे मुंबई आना पड़ा . यहाँ संजय दत्त , अरसद वारसी, विवेक ओबेराय के साथ शूटिंग कर रहा हूँ. जिला गाजियाबाद में मेरा किरदार रासिद अली नाम के ड़ोंन का है. बहुत ही अच्छी फिल्म फिल्म बन रही है .संजू बाबा के साथ मैंने लक में काम किया था. मुझे पूरा भरोसा है की आपलोगों को फिल्म जरूर पसंद आएगी. कल ही मुंबई में मेरी भोजपुरी फिल्म फौलाद रिलीज हुई है . मुझे ख़ुशी है की पहली बार कोई भी भोजपुरी फिल्म मुंबई सर्किट में पैतीस सिनेमाघरों में लगी है और आपलोग उन्हें पसंद भी कर रहे हैं. छठ मैया के आशीर्वाद और आपके प्यार से पिछले सप्ताह रिलीज हुई मेरी दो भोजपुरी फिल्मे रिलीज हुई . उत्तर प्रदेश के मल्टीप्लेक्स में मेरी फिल्म केहू हमसे जीत ना पाई रिलीज हुई और लोगो ने काफी सराहा है . फिल्म वहां अच्छा व्यवसाय कर रही है . मैं निर्माता डॉ. करीम दंपत्ति व निर्देशक एम.आई.राज. को बधाई देता हूँ जिन्होंने देशभक्ति पर आधारित फिल्म बनाने का फैसला किया. मैं दुर्गा दादा को भी बधाई देता हूँ क्योंकि उनकी फिल्म पियवा बडा सतावेला बिहार में अच्छा व्यवसाय कर रही है.
आप मेरा यह ब्लॉग मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर रविवार पढ़ सकते हैं.
आपका अपना रवि किशन

Tuesday 1 November 2011

एजेंट विनोद सैफ और मैं


सभी भोजपुरिया भाइयों - बहनों को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम . पिछले दस साल में ये पहला मौक़ा है जब छठ के पावन अवसर पर भगवान सूर्या देव एवं छठी मैया की आराधना मुंबई में नहीं कर पाया . दरअसल मैं अभी जैसलमेर की रेगिस्तान की ख़ाक छान रहा हूँ. यहाँ मैं सैफ अली खान की होम प्रोडक्शन की फिल्म एजेंट विनोद की शूटिंग कर रहा हूँ . वहाँ ३१ अक्टूबर तक ही शूटिंग होनी थी लेकिन किसी कारण तीन दिन का अतिरिक्त समय लग गया, जिसके कारण मेरा आगे का पूरा कार्यक्रम बदल गया. आपलोगों को तो पता ही है की मैं हर साल जुहू बीच पर छठ के पावन अवसर पर जाता रहा हूँ , इस बार भी मुझे अपने मित्र संजय निरुपम जी और सुभाष पासी जी द्वारा आयोजित पूजा पंडाल में मौजूद रहकर आपलोगों से मिलना था. मैं आपलोगों से क्षमा चाहता हूँ. वैसे इंसान को दोस्तों का नुकसान नहीं करना चाहिए . मैंने आपको बताया की मैं सैफ अली खान की फिल्म कर रहा हूँ . सैफ अली खान को आखिर मुझमे क्या दिखा की उन्होंने जब अपने होम प्रोडक्शन की पहली फिल्म बनाने की सोची तो मुझे भी इसमें काम करने का आमंत्रण भेजा ? मेरे अधिकतर जानने वालो को भी पता नहीं होगा की मैंने सैफ अली खान के साथ बरसो पहले भी एक फिल्म की थी . फिल्म का नाम था कीमत जो १९९८ में रिलीज़ हुई यही इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थे अक्षय कुमार , सैफ और रवीना टंडन , जबकि मैं भी मोहन त्रिपाठी नाम के एक युवक की एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका में था. सैफ से मेरी पहचान उसी फिल्म के दौरान हुई थी . नवाब पटौदी और शर्मीला टैगोर जैसी शख्सियत की संतान होने के वावजूद सैफ में कोई इगो नहीं था , अगर रहता तो उस दौर में जब मेरी पहचान एक संघर्षरत कलाकार की थी तक की पहचान को वो भूल जाते , लेकिन सैफ को पूरी बातें याद थी इसीलिए उन्होंने जब मुझे अपनी फिल्म के लिए आमंत्रित किया तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा . हाँ तो मैं आपको बता रहा था की मेरे शूटिंग का कार्यक्रम इनदिनों काफी व्यस्त है . एजेंट विनोद के कारण एक तरफ जहाँ मुझे विक्रम भट्ट की फिल्म डेंजरस इश्क की शूटिंग में नहीं पहुच पाया हूँ तो दूसरी तरफ बनारस में शैलेश सिंह की इसक की भी शूटिंग में भाग नहीं ले पा रहा हूँ. इन दोनों फिल्मो के बीच मुझे एक दिन की शूटिंग विनोद बच्चन की फिल्म जिला गाज़ियाबाद और एक दिन महुआ के शो नाच नचैया धूम मचैया की भी शूटिंग करनी थी. मैं कभी नहीं चाहता की मेरे कारण किसी का भी कोई नुकसान हो . जा सैफ को यह बात पता चली तो उन्होंने खुद मेरे निर्माता निर्देशकों से बात की. खैर मुझे ख़ुशी है की आज जैसलमेर के शूटिंग का आखिरी दिन है और कल यानी गुरूवार को मैं बनारस पहुच जाऊंगा . बनारस यानी बाबा विश्वनाथ की नगरी , जिस शहर को मैं बहुत पसंद करता हूँ.
आपलोगों ने इस रविवार महुआ टीवी के शो नाच नचैया धूम मचैया में मेरे भगवान यानी पंडित श्याम नारायण शुक्ल जी को देखा होगा ? जी हाँ मेरे भगवान यानी मेरे पिताजी , जिनकी बदौलत आज मैं यहाँ तक पंहुचा हूँ. मैंने कभी सोचा तक नहीं था की एक दिन किसी मंच पर कैमरे के सामने वो मेरे साथ होंगे . मैं उनके बारे में ज्यादा तो कुछ नहीं कहूँगा बस इतना ही कहना चाहूँगा की उनसे मुझे काफी उर्जा मिलती है . खैर चलते चलते एक बार फिर आप सबो को दीपावली और छठ पूजा की हार्दिक बधाई . आप मेरा ये स्तम्भ मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में भी पढ़ सकते हैं .
आपका अपना
रवि किशन

Sunday 16 October 2011

अज़ान और मैं ...

आप सभी को आपके अपने जौनपुरिया भैया रविकिशन शुक्ल का प्रणाम. शूटिंग शूटिंग और शूटिंग यही मेरी दिनचर्या बन गयी है. अभी अभी बनारस पंहुचा हूँ एक हिंदी फिल्म इसक की शूटिंग के लिए जहाँ मेरे साथी कलाकार हैं प्रतीक बब्बर और कंगना रानावत . जैसा की मेरे शीर्षक से ही आपको पता चल गया होगा की मैं इसी शुक्रवार रिलीज़ हुई अपनी फिल्म अज़ान के बारे में बात कर रहा हूँ. सच पूछिए तो वाकई अच्छी फिल्म बनी है . दुनिया के बारह देशो में इस फिल्म की शूटिंग हुई है . अज़ान नाम आपलोगों के लिए अनजान नहीं होगा क्योंकि अज़ान एक पाक शब्द है जिसका अर्थ होता है पूजा के लिए पुकार , हमारे मुस्लिम भाई इससे परिचित ही होंगे . अज़ान में सचिन जोशी ( नए अभिनेता) अज़ान खान नाम के एक ख़ुफ़िया अधिकारी की भूमिका में हैं. मैं भी ख़ुफ़िया अधिकारी बना हूँ. आज आतंकवाद दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है और सभी देश इस त्रासदी को झेल रहे हैं , अज़ान में इसी मुद्दे को उठाया गया है और बताया गया है की इंसान किस तरह बारूद की ढेर पर बैठा है और कब कोई चिंगारी इस बारूद को ज्वालामुखी में बदल कर हमारा अस्तित्व नष्ट कर दे पता नहीं .. आपलोगों को मैं फिल्म की पूरी कहानी नहीं बताऊंगा पर आग्रह करूँगा की अज़ान ज़रूर देखें ..इसकी तकनीक इस फिल्म को आम हिंदी फिल्म से अलग करते हैं. मैं इंटर नेट पर इस फिल्म का रिव्यू पढ़ रहा था , ख़ुशी हुई की सारे रिव्यू में तारिफ की गयी है . जैसा की मैंने शीर्षक में लिखा था अज़ान और मैं .... तो आपको बता दूं की आज फिल्म की पूरी यूनिट मेरे दोस्त बन गए हैं . मैंने अपने पिछले स्तम्भ में लिखा था इस फिल्म के लखनऊ और पटना के प्रमोशन के बारे में . अब तीन दिन पुरानी चर्चा ज़रूर करना चाहूँगा . अज़ान का प्रीमियर पिछले दिनों दुबई में था , मुझ जैसे भोजपुरिया कलाकार को इतने सम्मान के साथ बुलाया गया जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते हैं , २०० से भी अधिक मिडिया कर्मियों के साथ मैं दुबई गया . दिन में विशाल प्रेस कोंफ्रेंस और रात में भव्य प्रीमियर जहाँ सोहेल खान, मल्लिका शेरावत और सचिन जोशी सहित कई जाने माने लोग थे , वहाँ मिडिया के आकर्षण का केंद्र मैं ही था ना सिर्फ भारतीय मिडिया बल्कि कई देश की मिडिया ने मुझे तबज्जो दी. मुझे यह कहने में फक्र महसूस हो रहा है की ये सम्मान मुझे सिर्फ इसीलिए मिल रहा है की मैं भोजपुरी का एक कलाकार हूँ. हम जनसँख्या में बहुत ज्यादा है और लोगो को हम भोजपुरियो का महत्व मालुम पड गया है , वैसे मुझे ख़ुशी है की सचिन जोशी के रूप में एक अच्छा कलाकार फिल्म जगत को मिल रहा है . फिल्म के निर्देशक प्रशांत चड्डा जी ने बहुत ही अच्छी फिल्म बनायीं है. वो एक मंझे हुए निर्देशक है मैं भगवान से उनके सचिन और प्रशांत चड्डा जी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ. गुरूवार को मुंबई के प्रीमियर में उनके चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास था . शाहरुख़ खान भी इस प्रीमियर का हिस्सा बने . कुल मिलकर मैं यही कह सकता हूँ की अज़ान आम हिंदी फिल्मो से काफी अलग है और फिल्म देखकर जरुर कहेंगे पैसा वसूल . अब मैं आपलोगों से विदा चाहता हूँ . अगले हफ्ते बाबा विश्वनाथ की ही नगरी से आपसे दिल की बात शेयर करूँगा. आप मेरा ये ब्लॉग मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में भी भी पढ़ सकते हैं
आपका
रवि किशन

Tuesday 11 October 2011

हमार बाबु जी

आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का सादर प्रणाम . जैसा की मैंने शीर्षक में लिखा है हमार बाबु जी आपको आभास हो ही गया होगा की मैं इस बार अपने पिताजी से जुडी बातो को आपसे शेयर करूँगा . दरअसल मैंने अपने कुछ हफ्ते पहले भी आपसे जिक्र किया था की लम्बे अरसे के बाद मेरे पिताजी मेरे साथ है . सच कहूँ तो पिछले लगभग १५ बरसो में ऐसा मौका मेरी जिंदगी में पहली बार आया है. आज ही मेरे पिताजी हमारी जन्मस्थली गए हैं . उन्हें विदा कर आपसे रूबरू हो रहा हूँ . कल मुझे दुबई जाना है, क्योंकि १४ अक्टूबर को रिलीज़ हो रही मेरी फिल्म अज़ान का प्रीमियर हो रहा है वहाँ . अज़ान होलीबूड स्टायल में बनी हिंदी फिल्म है जिसकी शूटिंग बारह देशों में की गयी है . प्रशांत चड्ढा जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म से नए अभिनेता सचिन जोशी लौंच हो रहे हैं और चर्चित मॉडल केनडिस बाउचर इस फिल्म से हिंदी फिल्मो में उतर रही है . फिल्म में मेरी भी एक महत्वपूर्ण भूमिका है .पिछले दिनों अचानक फिल्म के प्रोमोशन के लिए मुझे लखनऊ और पटना चलने को कहा गया . मैं उस समय गुजरात के राजपिपला में शूटिंग कर रहा था , अगर मैं वहाँ से जाता तो दो दिन शूटिंग रूक जाती . अजान के निर्माता ने मेरी हालत समझ ली आखिर वो भी निर्माता है और उन्हें पता है एक दिन यूनिट अगर बैठी रह जाये तो कितना नुकसान होता है . बड़े निर्माताओं पर तो कोई ख़ास असर नहीं होता लेकिन छोटे निर्माता को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. आखिरकार अजान के निर्माता ने ऐसा फैसला किया जो शायद कम निर्माता ही करते हैं , उन्होंने विशेष विमान बड़ोदा भेजा और मैं समय की बचत करते हुए उसी विमान से पहले लखनऊ फिर पटना गया. लखनऊ में प्रेस कोंफ्रेंस के बाद पटना गया वहाँ हवाई अड्डे पर सैकड़ो की तादात में मेरे फेंस गाजे बाजे के साथ मेरा और सचिन जोशी का इंतज़ार कर रहे थे . सारी मिडिया वहाँ मौजूद थी . एयर पोर्ट पर ही प्रेस कांफ्रेस चला . उस दिन अष्टमी था , मैं और सचिन जब पटना के डाकबंगला चौराहा से गुजर रहे थे तो अचानक हमें आभास हुआ की हमें सामने स्थित दुर्गा पंडाल में जाना चाहिए . वहां गया तो महसूस हुआ साक्षात माँ दुर्गा के दर्शन हो गए हमें. सचिन के लिए पटना नया शहर था लेकिन पटना वासिओ ने जिस तरह मेरा और सचिन का स्वागत किया उससे सचिन को काफी ख़ुशी महसूस हुई. मैंने उसके चेहरे पर ख़ुशी के भाव देखे , शायद उसके लिए ये पहला अवसर था , अब जबकि वो फिल्म जगत में पदार्पण कर चुके हैं तो ऐसा मौका अब बार बार आएगा . खैर , जल्द ही अज़ान आपलोगों के सामने होगी , दुबई से वापस आकर अपने संस्मरण आपसे ज़रूर बाटूंगा जैसा की मैंने शीर्षक में अपने बाबु जी का जिक्र किया था उसे पूरा करना चाहूँगा . बाबु जी तीन माह पहले मेरी जिद पर मुंबई आये थे क्योंकि वहाँ उनकी तबियत अचानक बिगड़ गयी थी. मैंने अपनी जिंदगी उन्ही से उधार ली है अर्थात मैं उनके ही नक़्शे कदम पर चलता हूँ , उनकी ही तरह मैं भी शिवभक्त हूँ , उनकी ही तरह पूजा पाठ में मेरी अभिरुचि और गहरी आस्था रही है. इन तीन माह में काफी बड़ा साथ रहा मेरा , कहते हैं ना ...जैसे जैसे उम्र बढती है जिंदगी का तजुर्बा भी बढ़ता जाता है . इस दौरान उनसे काफी कुछ सीखा , सच कहता हूँ वक़्त चाहे कितना भी बदल जाये , दौर चाहे कोई भी क्यों ना हो बड़ो का तजुर्बा हर दौर में सटीक होता है. आपलोगों को पता ही है की मैं इनदिनों महुआ टीवी पर एक चर्चित शो नाच नचैया धूम मचैया होस्ट कर रहा हूँ. शो ने सफलता का नया कीर्तीमान स्थापित किया है , पिछले दिनों अचानक शो के निर्माता और चैनल ने मुझसे आग्रह किया की वो मेरे बाबु जी को बतौर अतिथि शो पर आमंत्रित करना चाहते हैं . मैंने बाबूजी से बात की तो वो तैयार हो गए क्योंकि महुआ उनका पसंदीदा चैनल है . शो पर वो आये और जब उन्होंने शलोक का पाठ शुरू किया तो सेट पर मौजूद सारे लोग साँसे रोक कर बैठ गए . अस्सी साल की उम्र में उनका जोश और उनकी उर्जा देख सभी अचम्भीत रह गए. मैं खुद अपने भावना को रोक नहीं पाया . उन्होंने काफी सारी बातें की जो जल्द ही आपको महुआ टीवी पर देखने को मिलेगा . मैं खुद उस एपिसोड को देखने के लिए उतावला हूँ. काफी सुखद पल था वो ... किसी शो में बाबूजी का पहली बार जाना हुआ था लेकिन उनके अंदाज़ और हावभाव को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे बरसो से ऐसा कर रहे हैं . जितनी सजहता के साथ उन्होंने शो में जान फूंक दी उससे मैं भौचक्का रह गया. खैर फिलहाल तो वो गाँव पहुच गए हैं जल्द ही मुझे बनारस जाना है फिर उनसे मुलाकात होगी. अब मैं आपसे भी विदा चाहता हूँ अगले हफ्ते फिर अपने दिल की बात आपसे बयान करूँगा .
आपका
रवि किशन

Friday 30 September 2011

बोल बनारस

अस्सी के घाट पर खड़ाऊं पहनकर पांव लटकाए पान की दुकान पर बैठे तन्नी गुरु से एक आदमी बोला- किस दुनिया में हो गुरु, अमेरिका रोज-रोज आदमी चंद्रमा पर भेज रहा है और तुम घंटेभर से पान घुला रहे हो। मोरी में पच से पान की पीक थूक गुरु बोले- देखौ, एक बात नोट कर लो, चंद्र मा हो या सूरज- जिसको गरज होगी खुदै यहां आएगा। कन्नी गुरु टस से मस नहीं होंगे हियां से....... ये शब्द मैंने यहाँ क्यों लिखा है इसकी चर्चा बाद में होगी सबसे पहले आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम और आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये .मुझे पता है आप सभी डंडिया और गरवा का मजा लेते हुए माँ दुर्गा की भक्ति में लीन होंगे , वैसे मैं भी नवरात्र के पहले दिन माँ दुर्गा की पूजा की और उपवास रखा और शाम को गोरेगांव स्पोर्ट क्लब में आयोजित संकल्प के डंडिया में अपनी फिल्म अज़ान के कलाकारों के साथ हिस्सा लिया . अज़ान की चर्चा भी जल्द करूँगा आपसे , फिलहाल मैं अभी गुजरात के राजपिपला में अपनी मुहबोली बहन सुधा तिवारी की फिल्म कैसन पियवा के चरित्तर बा की शूटिंग के लिए आया हूँ, रात में मेरे और रानी चटर्जी पर गाना फिल्माया जाएगा ...इस फिल्म को निर्देशित कर रहे हैं भोजपुरी के प्रसिद्द लेखक संतोष मिश्रा ... आज से इसकी शूटिंग का श्रीगणेश कर रहा हूँ , मैंने शुरुवात में ठेठ बनारसी अंदाज़ में कुछ लिखा है दरअसल ये सिर्फ कहावत ही नहीं है बल्कि बनारस की जिंदादिली को भी बयान करता है. आप लोगो को तो पता ही है की मैं बनारस के पास के ही शहर जौनपुर का रहने वाला हूँ और शिवभक्त भी हूँ इसीलिए बनारस से मेरा कुछ ख़ास लगाव रहा है . कहते हैं बनारस भगवान शिव की त्रिशूल पर बसा है और अपने आप में ढेर सारी कहानिया समेटे हुए है. पौराणिक कथाओ के अनुसार भगवान शिव ने पांच हज़ार साल पहले काशी शहर की निर्माण किया था . इस बात का उल्लेख स्कन्द पुराण, रामायण,और महाभारत के अलावा प्राचीनतम ऋग्वेद में भी मिलता है . बाबा विश्वनाथ की इस नगरी का आकर्षण विदेशी सैलानियों में भी बहुत है . आप किसी भी महीने बनारस जाये आपको भारी तादात में विदेशी वहाँ मिल जायेंगे . बनारस की आधुनिकता ख़ास कर अस्सी के दशक के काल को प्रोफ़ेसर डॉ. काशीनाथ सिंह ने अपने उपन्यास अस्सी के कासी में बखूबी चित्रण किया है और मेरे लिए सौभाग्य की बात है की इस उपन्यास पर डॉ. चंद्रप्रकाश दवेदी जी जिस फिल्म का निर्माण कर रहे हैं मैं भी उसका हिस्सा हूँ. आपलोगों ने जिस कन्नी गुरु की उन लाइनों को वहाँ पढ़ा वो किरदार उस फिल्म ( मोहल्ला अस्सी ) में मेरा ही है. हाल ही मैंने इस फिल्म की डबिंग की और तन्नी गुरु की छवि को डॉ. साहब ने जिस अंदाज़ में परदे पर उतारा है उसे देख कर मुझे काफी ख़ुशी हुई है. बनारस में शूटिंग का अनुभव भी काफी अच्छा रहा , अपनों के बीच अपने पसंदीदा शहर में शूटिंग का मजा ही कुछ और होता है. एक महीने की वो शूटिंग मेरे लिए अनमोल पल की तरह है और सबसे ख़ुशी की बात तो यह है की मैं एक बार फिर से शूटिंग के लिए बनारस जा रहा हूँ. भक्ति और प्यार के रस से सराबोर बनारस वासियो ने भी मुझे बहुत प्यार दिया है और शब्दों में उस प्यार को बयान करना मुश्किल है मेरे लिए . बनारस की हर गली, हर मोहल्ला अपने आप में इतिहास है जिसपर हम पूरे देशवासियो को गर्व होना चाहिए . कुछ सुनी सुनाई बाते तो कुछ किवदंतिया ..बनारस के इतिहास में चार चाँद लगाते हैं. उन्ही में से कुछ बातो को जल्द ही हमारी फिल्म निर्माण कंपनी परदे पर उतारने की तैयारी कर रही है और हमने अपने रवि किशन प्रोदाक्षण के बैनर तले बोल बनारस नाम भी पंजीकृत करवा लिया है. शोध के बाद कहानी पर काम होगा .. मुझे पता है बनारस की जिंदादिली का एक नया ही रूप आप सबो को परदे पर देखने को मिलेगा . बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से इस काम की शुरुवात जल्द ही होगी. वैसे बनारस के गुणगान में कई हज़ार पेज लिखे जा सकते हैं फिर भी उसे समेटा नहीं जा सकता . फिर भी हमारी कोशिश होगी की कुछ बातो को उसमे समेत सकूँ. मेरी शूटिंग का वक़्त हो चला है ...अगले रविवार फिर आपसे अपने दिल की बात बयान करूँगा ... तब तक के लिए मुझे इज़ाज़त दीजिये . आप मेरे ब्लॉग को मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर रविवार पढ़ सकते हैं .
आपका अपना
रवि किशन

Monday 26 September 2011

जय हो मातृशक्ति की

मातृशक्ति की जय हो मेरे सभी भोजपुरिया भाइयों एवं बहनों को आपके अपने रविकिशन शुक्ल का प्रणाम . नवरात्र शुरू होने में मात्र तीन दिन बचे हैं, पूरा देश माँ दुर्गा की आराधना की तयारी में लगा है, चारो ओर खुशियाँ ही खुशियाँ हैं, भक्ति का सैलाब उमड़ रहा है . या यूँ कहें की त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है. जब भी नवरात्र का त्योहार आता है तब तब मेरे जेहन में यह ख्याल अवश्य आता है की हम कितने खुशनसीब है क्योंकि हमने उस देश में जन्म लिया जहाँ मातृशक्ति की पूजा होती है . हमारा देश दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जिसे हम माँ कह कर पुकारते हैं. धन्य है हमारा देश जहाँ मातृशक्ति की पूजा होती है। हम नादान लोग कभी कभी मातृशक्ति की महानता को पहचान नही पाते हैं, लेकिन हकीकत यही है की पूरी दुनिया ही मातृशक्ति पर टिकी हुई है। आज के दौर में मदर टेरेसा, इंदिरा गाँधी, सहित कई ऐसी महिलाए हैं, जिन्होंने नि:स्वार्थ भाव से सेवा की है, ठीक उसी तरह जैसे हर माँ अपने बच्चो का देखभाल करती है, उसकी मांग पूरी करने के लिए प्रयत्नशील रहती है। दुनिया का कोई भी इंसान यह नही कह सकता की एक माँ का अपने बच्चो के प्यार में, लालन-पालन में, देखभाल में कोई लालच छिपा रहता है। हाँ कभी कभी कोई मजबूरी कुछ पल के लिए हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती है लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए की ये उनका हक़ है, अधिकार है। हो सकता है की आपको लगे की मैं किताबी बातें बयां कर रहा हूँ, लेकिन अगर हम सभी मातृशक्ति की महानता को पहचाने और इसे अपने जीवन में उतार लें तो देश में कोई वृधा आश्रम नही होगा , कोई माँ दूर गाँव में बैठ अपने बच्चो को याद कर रोएगी नही। माफ़ करना भाइयो मैं जरा भावना में बह कर मुद्दे से भटक गया था। दरअसल मुझे पढने का काफ़ी शौक है, मेरी सुबह ढेर सारे अखबारों को पढने में ही बीतती है और आए दिन हमें मातृशक्ति की अवहेलना की खबरे मिलती रहती है। मुझे पता है आपमें से लाखो लोगो को आज गाँव में अपनी माँ की अवश्य याद आ रही होगी, घर में बनने वाले पकवानों की खुशबू आप यहाँ मुंबई में भी महसूस कर रहे होंगे . कुछ ऐसी ही भावना मेरी भी है . मेरी मान मेरे गाँव में हैं जबकि पिताजी फिलहाल मुंबई में हैं. माँ भगवती की कृपा से अब वो बिल्कुल ठीक हो चुके हैं. वो गाँव जाने की जिद कर रहे हैं लेकिन अभी कुछ दिन और उनकी सेवा का मौका मुझे मिलेगा . आपलोगों को तो पता ही है की नवरात्र और दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाने के पीछे कई सारी कथाये हैं , माँ दुर्गा की रंच मात्र कृपा पाकर न जाने कितनों ने अपना जीवन सफल कर लिया आज उन्हीं की कृपा के परिणामस्वरूप स्वयं पूजित हो रहे है माँ के बेटों को किसी प्रकार से कोई कठिनाई कभी नहीं होती है उनके अन्दर माँ ऐसी अपार शक्ति भर देती हैं कि बालक को किसी भी देशकाल, किसी भी युगधर्म, किसी भी लोक परलोक, में तीनों कालों में किसी प्रकार का भय, कष्ट, विपदा, और अभावों का सामना नहीं करना पड़ता। वह सर्वज्ञ एवं स्वयं नियंता बनकर सर्वश्रेष्ठ हो जाता है और फिर मां की सत्ता, मां की सेवा-भक्ति के सिवा उसके समक्ष कोई और लक्ष्य नहीं रहता । इसी माँ दुर्गा ने जन कल्याण के लिए महिसासुर नाम के एक दानव का इस दौरान वध किया था। ऐसी मान्यता है की जगत के सुख के लिए माँ नवरात्र के दौरान धरती पर विचरण करती है । माँ दुर्गा के कई रूप हैं उनमे से एक रूप है माँ वैष्णो देवी का। कहा जाता है की जब लंकापति रावण, माँ सीता का हरण कर लंका ले गए और भगवान् श्रीराम के पास युद्ध के अलावा और कोई विकल्प नही बचा तो उन्होंने लंका पर हमला कर दिया। माँ वैष्णो देवी ने तब नौ दिनों तक उपवास रखकर भगवान् राम के विजय की कामना की और दसवे दिन जब रावण वध हुआ तब माता ने फलाहार कर व्रत का समापन किया। नवरात्री मनाने का बड़ा कारण ये भी है। रावण वध असत्य पर सत्य की विजय का सबसे बड़ा उधाहरण है। रावण एक ज्ञानी पुरूष थे, भगवान् शंकर के भक्त थे। कहा तो ये भी जाता है की मोक्ष प्राप्ति के लिए ही उन्होंने भगवान् राम के हाथो अपना जीवन खोने का फैसला किया था, लेकिन रावण ने जो रास्ता अपनाया वह दानवी प्रक्रिया थी। भगवान् राम ने उनका वध कर सत्यमेव जयते को चरितार्थ किया। सत्यमेव जयते - प्राचीन भारतीय साहित्य में मुंडकोपनिषद से लिया गया यह सूत्र आज भी मानव जाति की दिशा और दशा निर्धारण करता है। महाभारत काल में भी भगवान् श्रीकृष्णकी अगुवाई में पाँच पांडवो की, सौ कौरवो की अट्ठारह अक्षोनी की सेना पर विजय को असत्य पर सत्य की विजय बताया गया। कालांतर में भगवान् बुद्ध और महावीर ने भी सत्य को पंचशील और पॉँच महाव्रत का प्रमुख अंग माना । कहने का मतलव ये है की ढाई अक्षर से निर्मित ये शब्द उतना ही सरल है जितना की प्यार लेकिन सत्य की राह आसन नही होती है। ढेर सारी कठिनाइयां आती रहती है आखिरकार जीत सत्य की ही होती है। अर्थात हमें हर हाल में सत्य की राह पर चलना चाहिए । पूरी दुनिया अगर ऐसा करे तो अपने पराये , उंच-नीच , जाती-धर्म का भेदभाव समाप्त हो जाएगा । आइये हम और आप मिलकर माँ दुर्गा, या अपने अपने आराध्य देव, खुदा, या गुरु की शपथ ले की जीवन को सत्य के लिए समर्पित कर दे । हालंकि आज के युग में ऐसा सम्भव नही है लेकिन हम इंसान कोशिश तो कर ही सकते हैं। अगले रविवार फिर आपसे मुलाकात होगी ... आप मेरे दिल की बात को मुंबई के लोकप्रिय हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर रविवार पढ़ सकते हैं
आपका अपना
रवि किशन

Sunday 18 September 2011

इ क़र्ज़ कैसे चुकाइव

सभी भोजपुरिया भाइयो को आपके अपने रवि किशन का प्रणाम : अभी पितृ पक्ष चल रहा है पूरखो को सादर नमन करता हूँ. पिछला सप्ताह काफी कष्टदायक रहा मेरे लिए . वैसे तो इस दौरान ढेरो ख़ुशी आई जीवन में लेकिन एक हादसे ने मेरे परिवार को विचलित कर दिया . मेरे ही घर में रहने वाली मथुरा की रूबी ने जिस तरह अपने प्राण त्याग दिए उससे मन विचलित हो गया . रूबी धार्मिक प्रवृति की महिला थी. उसकी सुबह की शुरुवात पूजा पाठ से होती थी . अभी तक मेरे समझ से परे है की उसने ऐसा कदम क्यों उठाया ? खैर भगवान उसकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें. वैसे मुझे भरोसा है की उनकी धार्मिक क्रियाकलापों के कारण उन्हें मोक्ष की प्राप्ति मिल गयी होगी और उनका पूर्णजन्म हो गया होगा . खैर मेरे लगातार घर में रहने से मेरे परिवार को इस आकस्मिक परेशानी से काफी हद तक छुटकारा मिल गया है , बच्चो के चेहरे पर भी अब धीरे धीरे मुस्कान लौटने लगी है . अभी महुआ टीवी के शो नाच नचैया धूम मचैया की शूटिंग कर रहा हूँ और रात को हिंदी फिल्म अज़ान की शूटिंग के लिए बंकोक जाना है इसीलिए अभी ही अपने दिल की बात आप से शेयर कर रहा हूँ. सबसे पहले तो मैं आपलोगों का शुक्रगुजार हूँ की नाच नचैया धूम मचैया की टीआरपी बिहार उत्तरप्रदेश में हिंदी चैनलों पर चल रहे किसी भी शो से बहुत ज्यादा है. उत्तरप्रदेश में तो महुआ ने इस शो से अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करायी है . मैंने शीर्षक में लिखा है इ क़र्ज़ कैसे चुकाइव ... दरअसल मैं पहले से ही भोजपुरिया भाई बहनों का कर्ज़दार हूँ अब एक और बड़ा क़र्ज़ आ गया है . बिहार में शुक्रवार को हमारे फेंस ने जो कुछ भी किया इसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की थी ...मैंने कभी सोचा नहीं था की ऐसा भी कोई पल मेरी जिंदगी में आएगा. हमारी मौजूदगी में तो हमारे फेंस अपने कामो से हमें अपना कर्ज़दार बनाते रहते हैं लेकिन मेरी गैरमौजूदगी में हमारे फेंस ने बिहार की राजधानी पटना , मुजफ्फरपुर, मोतिहारी में मेरे कट आउट को विधिवत पूजा अर्चना कर दूध से नहलाया . मुझे पहले से इसकी जानकारी तक नहीं थी , कल मीडिया के मेरे कुछ दोस्तों ने मुझे बताया तो मैं आश्चर्य में पर गया, वैसे मैं पिछले हफ्ते ही बिहार गया था , ताज पुर , समस्तीपुर, दरभंगा में हमारे भाई बहन और प्रशंषको ने जिस तरह हमारा से स्वागत किया उससे मैं अभिभूत हो गया . यही नहीं दर्शको ने जिस तरह पिछले सप्ताह रिलीज़ हुई मेरी फिल्म संतान को हाथो हाथ लिया उससे काफी ख़ुशी हुई . फिर अगले ही सप्ताह यानी इस शुक्रवार को फौलाद रिलीज़ हुई और उसे भी बहुत ही अच्छी शुरुवात मिली है , ऊपर से मेरे फेंस ने जगह जगह मेरे कट आउट का दुग्धाविशेक किया गया और दर्शको के बीच लड्डू बांटा गया. सच पूछिए तो काफी ख़ुशी होती है जब हमें हौसला बढ़ने वाले हमारे दर्शक के क्रियाकलापों से दिल खुशियों से भर जाता है. पटना में कलाकारों की कोई कमी नहीं है उन सभी ने उस कार्यक्रम में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई उसके लिए उनका तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ. ऐसा मान सम्मान दुनिया के कम ही लोगो को नसीब होता है ख़ुशी है की उन चंद लोगो में मैं भी शामिल हूँ. अंत में मैं आप सभी भोजपुरिया भाइयो के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ की आज मुझे ये सम्मान मिला है ...हालांकि जो क़र्ज़ आपलोगों का है मुझपर उसे ताउम्र चुकाना मुश्किल है मेरे लिए .... गोर लागा तानी आप लोगन के ...अगला सप्ताह फेरु मुलाकात होई . आपलोग मेरे दिल की बात मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर रविवार पढ़ सकते हैं .
आपका
रवि किशन

Sunday 11 September 2011

परेशानी से गुजर रहे हैं हम

नौ सितम्बर को बिहार में मेरी फिल्म संतान रिलीज़ हुई थी , मैं उसके प्रोमोशन के लिए आठ सितम्बर को ही पहुँच गया था। नौ सितम्बर को ताजपुर, समस्तीपुर के बाद दरभंगा गया। काफी भीड़ थी वहाँ , जैसे तैसे वहाँ से निकले की एक मनहूस खबर इंतज़ार कर रही थी। मेरी पत्नी ने बताया की मेरी नौकरानी रूबी ने आत्महत्या कर ली है । बच्चे डरे सहमे हैं , इस तरह के हादसे से पहली बार मेरे परिवार को गुजरना पड़ा था। मैंने प्रोमोशन को वहीँ ख़तम किया और अगले दिन मुंबई आ गया। मिडिया में तरह तरह की खबरे आ रही थी लेकिन बिना पुलिस जांच पूरी हुए मैं कुछ भी बयान देना नहीं चाहता था। मेरे बच्चे अभी भी इस हादसे से उबार नहीं पाए हैं , उनके जेहन में अजीब सा एक दर समां गया है। पूरा परिवार परेशानी से गुजर रहा है। मैं शुक्रगुजार हूँ अपने दोस्तों का जा मेरी गैर हाजिरी में मेरे परिवार को हिम्मत दी। रूबी डेढ़ महीने से हमारे यहाँ थी, कम बोलती थी , मेरे घर में आये गणपति बाप्पा के पूजा पाठ की जिम्मेवारी उसने बखूबी निभायी थी । वो कुछ परेशान रहती थी शायद अपने बच्चो के कारण । उसे मेरा निजी बॉय सागर लेकर आया था और कहा था की इसे काम की सक्त आवश्यकता है, मेरी पत्नी ने उसे बच्चो की ज़रुरतो को पूरा करने के काम में लगा दिया था। खैर उसने ऐसा कदम क्यूँ उठाया ये तो उसकी मौत के बाद उसे साथ ही चला गया । मैं उसके आत्मा की शांति की प्रार्थना भगवन से करता हूँ।

Saturday 10 September 2011

SANTAAN - EGO TOHFA


आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम .सबसे पहले आप सभी को अनंत चतुर्दशी की हार्दिक बधाई . गणपति बाप्पा आज अपने धाम जा रहे हैं , अब अगले बरस तक उनका इंतज़ार रहेगा. इधर दो दिन से कई मानसिक संताप से गुजरना पड़ा है . आप सबको पता ही है की मेरी एक नौकरानी रूबी ने पिछले दिनों आत्महत्या कर ली . मैं उस दौरान अपनी फिल्म संतान के प्रोमोशन के लिए बिहार में था. मैं मुंबई पुलिस को जांच में सहयोग कर रहा हूँ और खुद जानना चाहता हूँ की उसकी मौत की वजह क्या है .मेरे बच्चो पर इसका गहरा असर पड़ा है. ....खैर बात संतान की हो रही है तो आपको तो पता ही है संतान के प्रति सबकी चाहत होती है अगर ना हो तो लोग मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा में माथा टेकते हैं. एक संतान की चाहत लोगो को हर अच्छे बुरे काम के लिए मजबूर कर देती है . आपलोगों को तो पता ही है की मेरी चार संतान है - तीन लड़की और एक लड़का ... मेरी तीनो लडकियों के आगमन ने मेरी जिन्दगी को बदल दिया और उनके जन्म के बाद ही मेरी तरक्की हुई. मेरे बेटे का जन्म मेरी खुशहाली के वक़्त हुआ .... जरा सोचिये ऐसी महिला जो संतान हीन है उसे किस हालात से गुजना पड़ता होगा, आज भले ही हम इक्कीसवी सदी में हैं लेकिन आज भी हमारे देश के कुछ इलाको में महिलाओ का बाँझ होना अभिशाप माना जाता है. एक लड़की जिसे हम वियाह  कर  अपने घर लाते हैं, घर में उन्हें प्यार इज्जत और सम्मान देते हैं लेकिन अचानक जब पता चलता है की वो महिला कभी माँ नहीं बन सकती तो सारा प्यार सम्मान और इज्जत गायब हो जाता है. आप सोच रहे होंगे की अचानक मैं संतान की महत्ता क्यूँ बता रहा हूँ... दरअसल इसी शुक्रवार मेरी भोजपुरी फिल्म बिहार में रिलीज़ हुई है. गुरुवार  को मैं फिल्म के प्रोमोशन के लिए पटना गया था ..दिन भर मिडिया के हुजूम से घिरा रहा , अति उत्साह में हमारे कुछ चहेतों ने मेरे लिए एक हाथी का प्रबंध कर दिया , लोगो की इच्छा थी की मैं अन्य कलाकारों के साथ हाथी की सवारी करूँ .... गाजे बाजे के बीच हम हाथी पर  पर बैठ तो गए लेकिन संतुलन बिगड़ने के कारण मेरे छोटे भाई सामान मित्र अवधेश मिश्रा का संतुलन बिगड़ गया  और वो गिर पड़े ,,उनके पैर में काफी चोटें  आई है ..मैं खुश हूँ की पैर में प्लास्टर लगे होने के वाबजूद वो मेरे साथ ताजपुर, समस्तीपुर और दरभंगा के सिनेमाघरों में मेरे साथ था ...मेरे साथ मेरे सहयोगी कलाकार पाखी हेगड़े , शुभी शर्मा , फिल्म के निर्देशक हैरी फर्नांडिस, फिल्म के निर्माता अनूप कुमार , कार्यकारी निर्माता नीलम भंडारी, मेरे मेनेजर बादशाह खान, मेरे  मेकपमेन   हितेश लिम्बचिया और पाखी हेगड़े के  मेकअप  मेन सुरेन्द्रनाथ प्रसाद  और प्रचारक उदय भगत व रंजन सिन्हा के साथ पटना में था .  सारे चैनल और अखबार वाले मेरी फिल्म संतान के बारे में जानना चाह रहे थे. दरअसल मुझे कहने में ये संकोच नहीं है की भोजपुरी में अच्छी फिल्मो की तादात बहुत ही कम है , फिल्म के नाम पर फुहरता का बोलबाला हो गया है. महिला दर्शको का रुझान सिनेमा घरो से कम हो गया है . जब भी बिहार जाता हूँ अक्सर सवालो से जूझना पड़ता है कब सुधरेगी भोजपुरी फिल्मो की दशा . अब संतान मैंने दर्शको के सामने रखा है , एक बाप को अपना हर बेटा प्यारा होता है , आज डेढ़ सौ भोजपुरी फिल्मो में अभिनय करने के बाद भी मेरी अच्छी फिल्मो की भूख बरकरार है और उसी का हिस्सा है संतान. पिछले सप्ताह मैंने फिल्म का विशेष शो देखा था. फिल्म में कई दृश्य ऐसे हैं जिसे देखकर आँखों में आंसू आते हैं. एक पत्नी का  त्याग  , एक प्रेमिका की चाहत के बीच अपनी बाँझ पत्नी को हौसला बढ़ाना और समाज के ताने से अपने प्यार की चादर पत्नी पर बिखेरना यानी मानवीय भावनाओ से ओतप्रोत है संतान . मेरे सभी सहयोगी कलाकारों ने बहुत अच्छा काम किया है इस फिल्म में , पाखी हेगड़े ने तो गजब की अभिनय क्षमता का परिचय दिया है . आप लोगो ने पाखी को मेरे साथ लहरिया लूटा ए राजा जी ने पसंद किया था , मेरा वादा है संतान को आप लोग मेरी जोड़ी को काफी पसंद करेंगे . मैं इस फिल्म के निर्माण के लिए स्वरुप फिल्म्स के पुनीत केला, अनूप कुमार और निर्देशक हैरी फर्नांडिस का शुक्रिया अदा करता हूँ , हैरी के साथ मेरी यह चौथी फिल्म है और वो मेरे पसंदीदा निर्देशकों में से एक हैं और हमेशा मेरी उम्मीदों से उन्होंने अच्छा काम किया है. एक दक्षिण भारतीय क्रिश्चन को भोजपुरी फिल्मो की इतनी समझ है की पूछिए मत . खैर  मुझे ख़ुशी है की संतान को जबरदस्त ओपनिंग मिली है , बिहार में दर्शको ने इस फिल्म का जिस तरह स्वागत किया है उससे मुझे काफी ख़ुशी मिली है . संतान जल्द ही मुंबई में आपके सामने होगी ... ...अगले हफ्ते फिर आपसे मुलाकात होगी ....
आपका अपना
रवि किशन

Friday 2 September 2011

गणपति बाप्पा मोरिया


विध्नहर्ता भगवान गणेश को स्मरण कर उनके चरणों को स्पर्श कर आपसे आज से हर सप्ताह अपने दिल की बात लेकर मुखातिब होगा आपका अपना रवि किशन शुक्ल . हर नयी शुरुवात भगवान गणेश की पूजा के साथ ही होती है और मेरे लिए यह सुखद संयोग है की आपको अपने दिल की बात बताने की जो नयी शुरुवात हो रही है वो भी गणेश उत्सव से ही. मेरी फिल्मो की ख़बरें तो आप अक्सर पढ़ते रहते हैं लेकिन मेरे जीवन के अनछुए पल आपको सिर्फ यहीं मिलेगा . मुझे पता है ईद की सेवइयां की मिठास अभी कम नहीं हुई है और भगवान गणेश के प्रति उत्साह बढ़ता जा रहा है . माहौल में खुशियाँ ही खुशियाँ है इसीलिए मैं भी आपकी ख़ुशी में शामिल हूँ और आपको भी अपनी ख़ुशी में शामिल कर रहा हूँ. गणपति बाप्पा हमारे घर भी पधारे हैं. घर में मानो मेला लगा है बच्चो के दोस्त, मेरी पत्नी के दोस्त और मेरे दोस्तों से घर भरा है .. पूजा अर्चना कर आपको अपने दिल का हाल बताने के लिए बैठा हूँ . बात की शुरुवात गणपति बाप्पा से की है तो आपको बता दूं की भगवान गणेश ने मुझे इतना कुछ दिया है जितनी कल्पना नहीं की थी मैंने और इस साल उनके आगमन को लेकर मैं काफी उत्साहित था क्योंकि उनके स्वागत के लिए पहली बार मुंबई में मेरे घर पर मेरे पिता पंडित श्याम नारायण शुक्ला उनका इंतज़ार कर रहे थे. यह पहला मौका है जब मेरे पिताजी इस त्योहार पर यहाँ मेरे साथ है. दो महीने पहले गाँव में उनकी तबियत ख़राब हो गयी थी , मैं बनारस गया ( जहाँ वो भर्ती थे ) हाथ पैर जोड़ा और जिद कर उन्हें मुंबई ले आया . मैं बरसो से उनसे निवेदन कर रहा था मुंबई आने का लेकिन गाँव से उन्हें बहुत प्यार है उसे किसी भी सूरत में छोड़ना नहीं चाहते थे. लेकिन मेरी भी जिद थी की आज मेरे साथ है . उन्होंने मेरा संघर्ष देखा है लेकिन इस बार जब मुंबई आये तो उन्हें बहुत ख़ुशी हुई , अपने बेटे को सुविधा संपन्न , हर शानो शौकत की चीजो के साथ देखना हर माता पिता को अच्छा लगता है ऊपर से बच्चो और पत्नी का प्यार उसमे चार चाँद लगा देता है . यहाँ आकर उन्हें काफी अच्छा लगा और उन्होंने कहा भी दुनिया की सबसे बड़ी ख़ुशी तब मिलती है जब बच्चे खुश हो . खैर , मैं अपनी ख़ुशी में आपको शामिल करते हुए यही कहूँगा की आज जो कुछ भी हूँ अपने माता पिता के आशीर्वाद और आपके प्यार से हूँ, आज भोजपुरी फिल्म जगत से बाहर जो इज्ज़त मुझे मिल रही है वो सबके नसीब में नहीं होती . जौनपुर के छोटे से गाँव विसुई का आपका अपना रवि किशन शुक्ल आज हिंदी फिल्म जगत में भी अपनी छाप छोड़ने में सफल हुआ है और उसकी वजह है आप लोग, जिन्होंने अपने रवि किशन की फिल्मो को सराहा , मेरे अभिनय की तारिफ की . आज मुंबई में नवरंग , नंदी, भारत, जैसे सिंगल स्क्रीन थियेटर के साथ साथ मल्टीप्लेक्स में भी अगर भोजपुरिया हीरो का होर्डिंग लगा है तो वो सब आप ही के कारण हुआ है. अभी हाल ही में मेरी फिल्म आई थी चितकबरे ... मिडिया और फिल्म समीक्षकों ने मेरे काम की काफी तारिफ हुई . अखबारों ने मेरे अभिनय को सराहा ..सच कहिये तो इससे काफी हौसला बढ़ता है .. ये आप लोगो का ही प्यार है की आज मेरे पास फिल्मो की लम्बी कतारे हैं. भोजपुरी में तो दर्ज़न से भी ज्यादा फिल्मे हैं लेकिन हिंदी में बड़े बड़े बैनर की फिल्मो में अच्छी भूमिका मिल रही है . सन्नी देओल के साथ मोहल्ला ८०, नसीर साहब के साथ चालीस चौरासी, संजय दत्त, अरसद वारसी , विवेक ओबेराय के साथ जिला गाजियावाद, सैफ अली खान के साथ एजेंट विनोद, के साथ साथ फिल्म जगत के कई पुरोधाओ की फिल्म मैं कर रहा हूँ. जहाँ तक भोजपुरी फिल्मो की बात है तो इसी शुक्रवार बिहार में मेरी फिल्म संतान रिलीज़ हो रही है ... बिहार में छः महीने के बाद मेरी कोई फिल्म रिलीज़ हो रही है और मुझे भरोसा है की इस फिल्म को भी आप दर्शको का बहुत प्यार मिलेगा . संतान काफी अच्छी फिल्म है , फिल्म में मेरे साथ पाखी हेगड़े और शुभी शर्मा हैं और मुझे पूरा भरोसा है आपको ज़रूर अच्छा लगेगा . संतान के बाद अगले शुक्रवार मेरी फिल्म फौलाद रिलीज़ हो रही है ... फौलाद में हर वो रंग है जिसे दर्शक देखना चाहते हैं. फिल्म के निर्देशक है फ़िरोज़ खान जो फिल्म जगत के जाने माने कैमरामैन है और मुझे मुझे उनके काम ने काफी प्रभावित किया है ... अंत में मैं महुआ के शो नाच नचैया धूम मचैया का जिक्र ज़रूर करना चाहूँगा . शो को अच्छी टीआरपी मिली है . महुआ ने भोजपुरिया इलाको से जिन दस लोगो को इस शो के लिए चुना है वो सारे अच्छे डांसर हैं. मुझे लगता है इस शो के माध्यम से भोजपुरी इंडसट्रीज को जल्द ही तीन चार एक्टर मिलने जा रहा है . मैं महुआ और साईं बाबा टेली फिल्म्स को धन्यवाद अदा करता हूँ जिन्होंने बिहार उत्तरप्रदेश के प्रतिभाओ को एक अच्छा मंच दिलाया है . बिहार उत्तर प्रदेश में प्रतिभाओ की कोई कमी नहीं है लेकिन सही मार्गदर्शन ना मिलने की वजह से उनकी प्रतिभा दम तोड़ देती है लेकिन अब उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाना का अच्छा अवसर मिल रहा है . मैं आप लोगो से भी आग्रह करता हूँ की अपने गाँव मोहल्ले , शहर, प्रदेश के प्रतिभावो को आगे बढ़ने का मौका दे और उनके कामो को सराहें ताकि उनका हौसला बड़े और अपने गाँव , माता पिता का नाम रोशन कर सके. अब मैं आपसे इज़ाज़त चाहूँगा ..... चलते चलते यही दुआ है मेरी की भगवान गणेश आप सभी को खुशियाँ प्रदान करे .... अगले सप्ताह आपसे फिर मुलाकात होगी ..........
आपका अपना
रवि