अस्सी के घाट पर खड़ाऊं पहनकर पांव लटकाए पान की दुकान पर बैठे तन्नी गुरु से एक आदमी बोला- किस दुनिया में हो गुरु, अमेरिका रोज-रोज आदमी चंद्रमा पर भेज रहा है और तुम घंटेभर से पान घुला रहे हो। मोरी में पच से पान की पीक थूक गुरु बोले- देखौ, एक बात नोट कर लो, चंद्र मा हो या सूरज- जिसको गरज होगी खुदै यहां आएगा। कन्नी गुरु टस से मस नहीं होंगे हियां से....... ये शब्द मैंने यहाँ क्यों लिखा है इसकी चर्चा बाद में होगी सबसे पहले आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम और आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये .मुझे पता है आप सभी डंडिया और गरवा का मजा लेते हुए माँ दुर्गा की भक्ति में लीन होंगे , वैसे मैं भी नवरात्र के पहले दिन माँ दुर्गा की पूजा की और उपवास रखा और शाम को गोरेगांव स्पोर्ट क्लब में आयोजित संकल्प के डंडिया में अपनी फिल्म अज़ान के कलाकारों के साथ हिस्सा लिया . अज़ान की चर्चा भी जल्द करूँगा आपसे , फिलहाल मैं अभी गुजरात के राजपिपला में अपनी मुहबोली बहन सुधा तिवारी की फिल्म कैसन पियवा के चरित्तर बा की शूटिंग के लिए आया हूँ, रात में मेरे और रानी चटर्जी पर गाना फिल्माया जाएगा ...इस फिल्म को निर्देशित कर रहे हैं भोजपुरी के प्रसिद्द लेखक संतोष मिश्रा ... आज से इसकी शूटिंग का श्रीगणेश कर रहा हूँ , मैंने शुरुवात में ठेठ बनारसी अंदाज़ में कुछ लिखा है दरअसल ये सिर्फ कहावत ही नहीं है बल्कि बनारस की जिंदादिली को भी बयान करता है. आप लोगो को तो पता ही है की मैं बनारस के पास के ही शहर जौनपुर का रहने वाला हूँ और शिवभक्त भी हूँ इसीलिए बनारस से मेरा कुछ ख़ास लगाव रहा है . कहते हैं बनारस भगवान शिव की त्रिशूल पर बसा है और अपने आप में ढेर सारी कहानिया समेटे हुए है. पौराणिक कथाओ के अनुसार भगवान शिव ने पांच हज़ार साल पहले काशी शहर की निर्माण किया था . इस बात का उल्लेख स्कन्द पुराण, रामायण,और महाभारत के अलावा प्राचीनतम ऋग्वेद में भी मिलता है . बाबा विश्वनाथ की इस नगरी का आकर्षण विदेशी सैलानियों में भी बहुत है . आप किसी भी महीने बनारस जाये आपको भारी तादात में विदेशी वहाँ मिल जायेंगे . बनारस की आधुनिकता ख़ास कर अस्सी के दशक के काल को प्रोफ़ेसर डॉ. काशीनाथ सिंह ने अपने उपन्यास अस्सी के कासी में बखूबी चित्रण किया है और मेरे लिए सौभाग्य की बात है की इस उपन्यास पर डॉ. चंद्रप्रकाश दवेदी जी जिस फिल्म का निर्माण कर रहे हैं मैं भी उसका हिस्सा हूँ. आपलोगों ने जिस कन्नी गुरु की उन लाइनों को वहाँ पढ़ा वो किरदार उस फिल्म ( मोहल्ला अस्सी ) में मेरा ही है. हाल ही मैंने इस फिल्म की डबिंग की और तन्नी गुरु की छवि को डॉ. साहब ने जिस अंदाज़ में परदे पर उतारा है उसे देख कर मुझे काफी ख़ुशी हुई है. बनारस में शूटिंग का अनुभव भी काफी अच्छा रहा , अपनों के बीच अपने पसंदीदा शहर में शूटिंग का मजा ही कुछ और होता है. एक महीने की वो शूटिंग मेरे लिए अनमोल पल की तरह है और सबसे ख़ुशी की बात तो यह है की मैं एक बार फिर से शूटिंग के लिए बनारस जा रहा हूँ. भक्ति और प्यार के रस से सराबोर बनारस वासियो ने भी मुझे बहुत प्यार दिया है और शब्दों में उस प्यार को बयान करना मुश्किल है मेरे लिए . बनारस की हर गली, हर मोहल्ला अपने आप में इतिहास है जिसपर हम पूरे देशवासियो को गर्व होना चाहिए . कुछ सुनी सुनाई बाते तो कुछ किवदंतिया ..बनारस के इतिहास में चार चाँद लगाते हैं. उन्ही में से कुछ बातो को जल्द ही हमारी फिल्म निर्माण कंपनी परदे पर उतारने की तैयारी कर रही है और हमने अपने रवि किशन प्रोदाक्षण के बैनर तले बोल बनारस नाम भी पंजीकृत करवा लिया है. शोध के बाद कहानी पर काम होगा .. मुझे पता है बनारस की जिंदादिली का एक नया ही रूप आप सबो को परदे पर देखने को मिलेगा . बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से इस काम की शुरुवात जल्द ही होगी. वैसे बनारस के गुणगान में कई हज़ार पेज लिखे जा सकते हैं फिर भी उसे समेटा नहीं जा सकता . फिर भी हमारी कोशिश होगी की कुछ बातो को उसमे समेत सकूँ. मेरी शूटिंग का वक़्त हो चला है ...अगले रविवार फिर आपसे अपने दिल की बात बयान करूँगा ... तब तक के लिए मुझे इज़ाज़त दीजिये . आप मेरे ब्लॉग को मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर रविवार पढ़ सकते हैं .
आपका अपना
रवि किशन