Friday 30 September 2011

बोल बनारस

अस्सी के घाट पर खड़ाऊं पहनकर पांव लटकाए पान की दुकान पर बैठे तन्नी गुरु से एक आदमी बोला- किस दुनिया में हो गुरु, अमेरिका रोज-रोज आदमी चंद्रमा पर भेज रहा है और तुम घंटेभर से पान घुला रहे हो। मोरी में पच से पान की पीक थूक गुरु बोले- देखौ, एक बात नोट कर लो, चंद्र मा हो या सूरज- जिसको गरज होगी खुदै यहां आएगा। कन्नी गुरु टस से मस नहीं होंगे हियां से....... ये शब्द मैंने यहाँ क्यों लिखा है इसकी चर्चा बाद में होगी सबसे पहले आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम और आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये .मुझे पता है आप सभी डंडिया और गरवा का मजा लेते हुए माँ दुर्गा की भक्ति में लीन होंगे , वैसे मैं भी नवरात्र के पहले दिन माँ दुर्गा की पूजा की और उपवास रखा और शाम को गोरेगांव स्पोर्ट क्लब में आयोजित संकल्प के डंडिया में अपनी फिल्म अज़ान के कलाकारों के साथ हिस्सा लिया . अज़ान की चर्चा भी जल्द करूँगा आपसे , फिलहाल मैं अभी गुजरात के राजपिपला में अपनी मुहबोली बहन सुधा तिवारी की फिल्म कैसन पियवा के चरित्तर बा की शूटिंग के लिए आया हूँ, रात में मेरे और रानी चटर्जी पर गाना फिल्माया जाएगा ...इस फिल्म को निर्देशित कर रहे हैं भोजपुरी के प्रसिद्द लेखक संतोष मिश्रा ... आज से इसकी शूटिंग का श्रीगणेश कर रहा हूँ , मैंने शुरुवात में ठेठ बनारसी अंदाज़ में कुछ लिखा है दरअसल ये सिर्फ कहावत ही नहीं है बल्कि बनारस की जिंदादिली को भी बयान करता है. आप लोगो को तो पता ही है की मैं बनारस के पास के ही शहर जौनपुर का रहने वाला हूँ और शिवभक्त भी हूँ इसीलिए बनारस से मेरा कुछ ख़ास लगाव रहा है . कहते हैं बनारस भगवान शिव की त्रिशूल पर बसा है और अपने आप में ढेर सारी कहानिया समेटे हुए है. पौराणिक कथाओ के अनुसार भगवान शिव ने पांच हज़ार साल पहले काशी शहर की निर्माण किया था . इस बात का उल्लेख स्कन्द पुराण, रामायण,और महाभारत के अलावा प्राचीनतम ऋग्वेद में भी मिलता है . बाबा विश्वनाथ की इस नगरी का आकर्षण विदेशी सैलानियों में भी बहुत है . आप किसी भी महीने बनारस जाये आपको भारी तादात में विदेशी वहाँ मिल जायेंगे . बनारस की आधुनिकता ख़ास कर अस्सी के दशक के काल को प्रोफ़ेसर डॉ. काशीनाथ सिंह ने अपने उपन्यास अस्सी के कासी में बखूबी चित्रण किया है और मेरे लिए सौभाग्य की बात है की इस उपन्यास पर डॉ. चंद्रप्रकाश दवेदी जी जिस फिल्म का निर्माण कर रहे हैं मैं भी उसका हिस्सा हूँ. आपलोगों ने जिस कन्नी गुरु की उन लाइनों को वहाँ पढ़ा वो किरदार उस फिल्म ( मोहल्ला अस्सी ) में मेरा ही है. हाल ही मैंने इस फिल्म की डबिंग की और तन्नी गुरु की छवि को डॉ. साहब ने जिस अंदाज़ में परदे पर उतारा है उसे देख कर मुझे काफी ख़ुशी हुई है. बनारस में शूटिंग का अनुभव भी काफी अच्छा रहा , अपनों के बीच अपने पसंदीदा शहर में शूटिंग का मजा ही कुछ और होता है. एक महीने की वो शूटिंग मेरे लिए अनमोल पल की तरह है और सबसे ख़ुशी की बात तो यह है की मैं एक बार फिर से शूटिंग के लिए बनारस जा रहा हूँ. भक्ति और प्यार के रस से सराबोर बनारस वासियो ने भी मुझे बहुत प्यार दिया है और शब्दों में उस प्यार को बयान करना मुश्किल है मेरे लिए . बनारस की हर गली, हर मोहल्ला अपने आप में इतिहास है जिसपर हम पूरे देशवासियो को गर्व होना चाहिए . कुछ सुनी सुनाई बाते तो कुछ किवदंतिया ..बनारस के इतिहास में चार चाँद लगाते हैं. उन्ही में से कुछ बातो को जल्द ही हमारी फिल्म निर्माण कंपनी परदे पर उतारने की तैयारी कर रही है और हमने अपने रवि किशन प्रोदाक्षण के बैनर तले बोल बनारस नाम भी पंजीकृत करवा लिया है. शोध के बाद कहानी पर काम होगा .. मुझे पता है बनारस की जिंदादिली का एक नया ही रूप आप सबो को परदे पर देखने को मिलेगा . बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से इस काम की शुरुवात जल्द ही होगी. वैसे बनारस के गुणगान में कई हज़ार पेज लिखे जा सकते हैं फिर भी उसे समेटा नहीं जा सकता . फिर भी हमारी कोशिश होगी की कुछ बातो को उसमे समेत सकूँ. मेरी शूटिंग का वक़्त हो चला है ...अगले रविवार फिर आपसे अपने दिल की बात बयान करूँगा ... तब तक के लिए मुझे इज़ाज़त दीजिये . आप मेरे ब्लॉग को मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर रविवार पढ़ सकते हैं .
आपका अपना
रवि किशन

Monday 26 September 2011

जय हो मातृशक्ति की

मातृशक्ति की जय हो मेरे सभी भोजपुरिया भाइयों एवं बहनों को आपके अपने रविकिशन शुक्ल का प्रणाम . नवरात्र शुरू होने में मात्र तीन दिन बचे हैं, पूरा देश माँ दुर्गा की आराधना की तयारी में लगा है, चारो ओर खुशियाँ ही खुशियाँ हैं, भक्ति का सैलाब उमड़ रहा है . या यूँ कहें की त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है. जब भी नवरात्र का त्योहार आता है तब तब मेरे जेहन में यह ख्याल अवश्य आता है की हम कितने खुशनसीब है क्योंकि हमने उस देश में जन्म लिया जहाँ मातृशक्ति की पूजा होती है . हमारा देश दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जिसे हम माँ कह कर पुकारते हैं. धन्य है हमारा देश जहाँ मातृशक्ति की पूजा होती है। हम नादान लोग कभी कभी मातृशक्ति की महानता को पहचान नही पाते हैं, लेकिन हकीकत यही है की पूरी दुनिया ही मातृशक्ति पर टिकी हुई है। आज के दौर में मदर टेरेसा, इंदिरा गाँधी, सहित कई ऐसी महिलाए हैं, जिन्होंने नि:स्वार्थ भाव से सेवा की है, ठीक उसी तरह जैसे हर माँ अपने बच्चो का देखभाल करती है, उसकी मांग पूरी करने के लिए प्रयत्नशील रहती है। दुनिया का कोई भी इंसान यह नही कह सकता की एक माँ का अपने बच्चो के प्यार में, लालन-पालन में, देखभाल में कोई लालच छिपा रहता है। हाँ कभी कभी कोई मजबूरी कुछ पल के लिए हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती है लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए की ये उनका हक़ है, अधिकार है। हो सकता है की आपको लगे की मैं किताबी बातें बयां कर रहा हूँ, लेकिन अगर हम सभी मातृशक्ति की महानता को पहचाने और इसे अपने जीवन में उतार लें तो देश में कोई वृधा आश्रम नही होगा , कोई माँ दूर गाँव में बैठ अपने बच्चो को याद कर रोएगी नही। माफ़ करना भाइयो मैं जरा भावना में बह कर मुद्दे से भटक गया था। दरअसल मुझे पढने का काफ़ी शौक है, मेरी सुबह ढेर सारे अखबारों को पढने में ही बीतती है और आए दिन हमें मातृशक्ति की अवहेलना की खबरे मिलती रहती है। मुझे पता है आपमें से लाखो लोगो को आज गाँव में अपनी माँ की अवश्य याद आ रही होगी, घर में बनने वाले पकवानों की खुशबू आप यहाँ मुंबई में भी महसूस कर रहे होंगे . कुछ ऐसी ही भावना मेरी भी है . मेरी मान मेरे गाँव में हैं जबकि पिताजी फिलहाल मुंबई में हैं. माँ भगवती की कृपा से अब वो बिल्कुल ठीक हो चुके हैं. वो गाँव जाने की जिद कर रहे हैं लेकिन अभी कुछ दिन और उनकी सेवा का मौका मुझे मिलेगा . आपलोगों को तो पता ही है की नवरात्र और दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाने के पीछे कई सारी कथाये हैं , माँ दुर्गा की रंच मात्र कृपा पाकर न जाने कितनों ने अपना जीवन सफल कर लिया आज उन्हीं की कृपा के परिणामस्वरूप स्वयं पूजित हो रहे है माँ के बेटों को किसी प्रकार से कोई कठिनाई कभी नहीं होती है उनके अन्दर माँ ऐसी अपार शक्ति भर देती हैं कि बालक को किसी भी देशकाल, किसी भी युगधर्म, किसी भी लोक परलोक, में तीनों कालों में किसी प्रकार का भय, कष्ट, विपदा, और अभावों का सामना नहीं करना पड़ता। वह सर्वज्ञ एवं स्वयं नियंता बनकर सर्वश्रेष्ठ हो जाता है और फिर मां की सत्ता, मां की सेवा-भक्ति के सिवा उसके समक्ष कोई और लक्ष्य नहीं रहता । इसी माँ दुर्गा ने जन कल्याण के लिए महिसासुर नाम के एक दानव का इस दौरान वध किया था। ऐसी मान्यता है की जगत के सुख के लिए माँ नवरात्र के दौरान धरती पर विचरण करती है । माँ दुर्गा के कई रूप हैं उनमे से एक रूप है माँ वैष्णो देवी का। कहा जाता है की जब लंकापति रावण, माँ सीता का हरण कर लंका ले गए और भगवान् श्रीराम के पास युद्ध के अलावा और कोई विकल्प नही बचा तो उन्होंने लंका पर हमला कर दिया। माँ वैष्णो देवी ने तब नौ दिनों तक उपवास रखकर भगवान् राम के विजय की कामना की और दसवे दिन जब रावण वध हुआ तब माता ने फलाहार कर व्रत का समापन किया। नवरात्री मनाने का बड़ा कारण ये भी है। रावण वध असत्य पर सत्य की विजय का सबसे बड़ा उधाहरण है। रावण एक ज्ञानी पुरूष थे, भगवान् शंकर के भक्त थे। कहा तो ये भी जाता है की मोक्ष प्राप्ति के लिए ही उन्होंने भगवान् राम के हाथो अपना जीवन खोने का फैसला किया था, लेकिन रावण ने जो रास्ता अपनाया वह दानवी प्रक्रिया थी। भगवान् राम ने उनका वध कर सत्यमेव जयते को चरितार्थ किया। सत्यमेव जयते - प्राचीन भारतीय साहित्य में मुंडकोपनिषद से लिया गया यह सूत्र आज भी मानव जाति की दिशा और दशा निर्धारण करता है। महाभारत काल में भी भगवान् श्रीकृष्णकी अगुवाई में पाँच पांडवो की, सौ कौरवो की अट्ठारह अक्षोनी की सेना पर विजय को असत्य पर सत्य की विजय बताया गया। कालांतर में भगवान् बुद्ध और महावीर ने भी सत्य को पंचशील और पॉँच महाव्रत का प्रमुख अंग माना । कहने का मतलव ये है की ढाई अक्षर से निर्मित ये शब्द उतना ही सरल है जितना की प्यार लेकिन सत्य की राह आसन नही होती है। ढेर सारी कठिनाइयां आती रहती है आखिरकार जीत सत्य की ही होती है। अर्थात हमें हर हाल में सत्य की राह पर चलना चाहिए । पूरी दुनिया अगर ऐसा करे तो अपने पराये , उंच-नीच , जाती-धर्म का भेदभाव समाप्त हो जाएगा । आइये हम और आप मिलकर माँ दुर्गा, या अपने अपने आराध्य देव, खुदा, या गुरु की शपथ ले की जीवन को सत्य के लिए समर्पित कर दे । हालंकि आज के युग में ऐसा सम्भव नही है लेकिन हम इंसान कोशिश तो कर ही सकते हैं। अगले रविवार फिर आपसे मुलाकात होगी ... आप मेरे दिल की बात को मुंबई के लोकप्रिय हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर रविवार पढ़ सकते हैं
आपका अपना
रवि किशन

Sunday 18 September 2011

इ क़र्ज़ कैसे चुकाइव

सभी भोजपुरिया भाइयो को आपके अपने रवि किशन का प्रणाम : अभी पितृ पक्ष चल रहा है पूरखो को सादर नमन करता हूँ. पिछला सप्ताह काफी कष्टदायक रहा मेरे लिए . वैसे तो इस दौरान ढेरो ख़ुशी आई जीवन में लेकिन एक हादसे ने मेरे परिवार को विचलित कर दिया . मेरे ही घर में रहने वाली मथुरा की रूबी ने जिस तरह अपने प्राण त्याग दिए उससे मन विचलित हो गया . रूबी धार्मिक प्रवृति की महिला थी. उसकी सुबह की शुरुवात पूजा पाठ से होती थी . अभी तक मेरे समझ से परे है की उसने ऐसा कदम क्यों उठाया ? खैर भगवान उसकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें. वैसे मुझे भरोसा है की उनकी धार्मिक क्रियाकलापों के कारण उन्हें मोक्ष की प्राप्ति मिल गयी होगी और उनका पूर्णजन्म हो गया होगा . खैर मेरे लगातार घर में रहने से मेरे परिवार को इस आकस्मिक परेशानी से काफी हद तक छुटकारा मिल गया है , बच्चो के चेहरे पर भी अब धीरे धीरे मुस्कान लौटने लगी है . अभी महुआ टीवी के शो नाच नचैया धूम मचैया की शूटिंग कर रहा हूँ और रात को हिंदी फिल्म अज़ान की शूटिंग के लिए बंकोक जाना है इसीलिए अभी ही अपने दिल की बात आप से शेयर कर रहा हूँ. सबसे पहले तो मैं आपलोगों का शुक्रगुजार हूँ की नाच नचैया धूम मचैया की टीआरपी बिहार उत्तरप्रदेश में हिंदी चैनलों पर चल रहे किसी भी शो से बहुत ज्यादा है. उत्तरप्रदेश में तो महुआ ने इस शो से अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करायी है . मैंने शीर्षक में लिखा है इ क़र्ज़ कैसे चुकाइव ... दरअसल मैं पहले से ही भोजपुरिया भाई बहनों का कर्ज़दार हूँ अब एक और बड़ा क़र्ज़ आ गया है . बिहार में शुक्रवार को हमारे फेंस ने जो कुछ भी किया इसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की थी ...मैंने कभी सोचा नहीं था की ऐसा भी कोई पल मेरी जिंदगी में आएगा. हमारी मौजूदगी में तो हमारे फेंस अपने कामो से हमें अपना कर्ज़दार बनाते रहते हैं लेकिन मेरी गैरमौजूदगी में हमारे फेंस ने बिहार की राजधानी पटना , मुजफ्फरपुर, मोतिहारी में मेरे कट आउट को विधिवत पूजा अर्चना कर दूध से नहलाया . मुझे पहले से इसकी जानकारी तक नहीं थी , कल मीडिया के मेरे कुछ दोस्तों ने मुझे बताया तो मैं आश्चर्य में पर गया, वैसे मैं पिछले हफ्ते ही बिहार गया था , ताज पुर , समस्तीपुर, दरभंगा में हमारे भाई बहन और प्रशंषको ने जिस तरह हमारा से स्वागत किया उससे मैं अभिभूत हो गया . यही नहीं दर्शको ने जिस तरह पिछले सप्ताह रिलीज़ हुई मेरी फिल्म संतान को हाथो हाथ लिया उससे काफी ख़ुशी हुई . फिर अगले ही सप्ताह यानी इस शुक्रवार को फौलाद रिलीज़ हुई और उसे भी बहुत ही अच्छी शुरुवात मिली है , ऊपर से मेरे फेंस ने जगह जगह मेरे कट आउट का दुग्धाविशेक किया गया और दर्शको के बीच लड्डू बांटा गया. सच पूछिए तो काफी ख़ुशी होती है जब हमें हौसला बढ़ने वाले हमारे दर्शक के क्रियाकलापों से दिल खुशियों से भर जाता है. पटना में कलाकारों की कोई कमी नहीं है उन सभी ने उस कार्यक्रम में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई उसके लिए उनका तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ. ऐसा मान सम्मान दुनिया के कम ही लोगो को नसीब होता है ख़ुशी है की उन चंद लोगो में मैं भी शामिल हूँ. अंत में मैं आप सभी भोजपुरिया भाइयो के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ की आज मुझे ये सम्मान मिला है ...हालांकि जो क़र्ज़ आपलोगों का है मुझपर उसे ताउम्र चुकाना मुश्किल है मेरे लिए .... गोर लागा तानी आप लोगन के ...अगला सप्ताह फेरु मुलाकात होई . आपलोग मेरे दिल की बात मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर रविवार पढ़ सकते हैं .
आपका
रवि किशन

Sunday 11 September 2011

परेशानी से गुजर रहे हैं हम

नौ सितम्बर को बिहार में मेरी फिल्म संतान रिलीज़ हुई थी , मैं उसके प्रोमोशन के लिए आठ सितम्बर को ही पहुँच गया था। नौ सितम्बर को ताजपुर, समस्तीपुर के बाद दरभंगा गया। काफी भीड़ थी वहाँ , जैसे तैसे वहाँ से निकले की एक मनहूस खबर इंतज़ार कर रही थी। मेरी पत्नी ने बताया की मेरी नौकरानी रूबी ने आत्महत्या कर ली है । बच्चे डरे सहमे हैं , इस तरह के हादसे से पहली बार मेरे परिवार को गुजरना पड़ा था। मैंने प्रोमोशन को वहीँ ख़तम किया और अगले दिन मुंबई आ गया। मिडिया में तरह तरह की खबरे आ रही थी लेकिन बिना पुलिस जांच पूरी हुए मैं कुछ भी बयान देना नहीं चाहता था। मेरे बच्चे अभी भी इस हादसे से उबार नहीं पाए हैं , उनके जेहन में अजीब सा एक दर समां गया है। पूरा परिवार परेशानी से गुजर रहा है। मैं शुक्रगुजार हूँ अपने दोस्तों का जा मेरी गैर हाजिरी में मेरे परिवार को हिम्मत दी। रूबी डेढ़ महीने से हमारे यहाँ थी, कम बोलती थी , मेरे घर में आये गणपति बाप्पा के पूजा पाठ की जिम्मेवारी उसने बखूबी निभायी थी । वो कुछ परेशान रहती थी शायद अपने बच्चो के कारण । उसे मेरा निजी बॉय सागर लेकर आया था और कहा था की इसे काम की सक्त आवश्यकता है, मेरी पत्नी ने उसे बच्चो की ज़रुरतो को पूरा करने के काम में लगा दिया था। खैर उसने ऐसा कदम क्यूँ उठाया ये तो उसकी मौत के बाद उसे साथ ही चला गया । मैं उसके आत्मा की शांति की प्रार्थना भगवन से करता हूँ।

Saturday 10 September 2011

SANTAAN - EGO TOHFA


आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम .सबसे पहले आप सभी को अनंत चतुर्दशी की हार्दिक बधाई . गणपति बाप्पा आज अपने धाम जा रहे हैं , अब अगले बरस तक उनका इंतज़ार रहेगा. इधर दो दिन से कई मानसिक संताप से गुजरना पड़ा है . आप सबको पता ही है की मेरी एक नौकरानी रूबी ने पिछले दिनों आत्महत्या कर ली . मैं उस दौरान अपनी फिल्म संतान के प्रोमोशन के लिए बिहार में था. मैं मुंबई पुलिस को जांच में सहयोग कर रहा हूँ और खुद जानना चाहता हूँ की उसकी मौत की वजह क्या है .मेरे बच्चो पर इसका गहरा असर पड़ा है. ....खैर बात संतान की हो रही है तो आपको तो पता ही है संतान के प्रति सबकी चाहत होती है अगर ना हो तो लोग मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा में माथा टेकते हैं. एक संतान की चाहत लोगो को हर अच्छे बुरे काम के लिए मजबूर कर देती है . आपलोगों को तो पता ही है की मेरी चार संतान है - तीन लड़की और एक लड़का ... मेरी तीनो लडकियों के आगमन ने मेरी जिन्दगी को बदल दिया और उनके जन्म के बाद ही मेरी तरक्की हुई. मेरे बेटे का जन्म मेरी खुशहाली के वक़्त हुआ .... जरा सोचिये ऐसी महिला जो संतान हीन है उसे किस हालात से गुजना पड़ता होगा, आज भले ही हम इक्कीसवी सदी में हैं लेकिन आज भी हमारे देश के कुछ इलाको में महिलाओ का बाँझ होना अभिशाप माना जाता है. एक लड़की जिसे हम वियाह  कर  अपने घर लाते हैं, घर में उन्हें प्यार इज्जत और सम्मान देते हैं लेकिन अचानक जब पता चलता है की वो महिला कभी माँ नहीं बन सकती तो सारा प्यार सम्मान और इज्जत गायब हो जाता है. आप सोच रहे होंगे की अचानक मैं संतान की महत्ता क्यूँ बता रहा हूँ... दरअसल इसी शुक्रवार मेरी भोजपुरी फिल्म बिहार में रिलीज़ हुई है. गुरुवार  को मैं फिल्म के प्रोमोशन के लिए पटना गया था ..दिन भर मिडिया के हुजूम से घिरा रहा , अति उत्साह में हमारे कुछ चहेतों ने मेरे लिए एक हाथी का प्रबंध कर दिया , लोगो की इच्छा थी की मैं अन्य कलाकारों के साथ हाथी की सवारी करूँ .... गाजे बाजे के बीच हम हाथी पर  पर बैठ तो गए लेकिन संतुलन बिगड़ने के कारण मेरे छोटे भाई सामान मित्र अवधेश मिश्रा का संतुलन बिगड़ गया  और वो गिर पड़े ,,उनके पैर में काफी चोटें  आई है ..मैं खुश हूँ की पैर में प्लास्टर लगे होने के वाबजूद वो मेरे साथ ताजपुर, समस्तीपुर और दरभंगा के सिनेमाघरों में मेरे साथ था ...मेरे साथ मेरे सहयोगी कलाकार पाखी हेगड़े , शुभी शर्मा , फिल्म के निर्देशक हैरी फर्नांडिस, फिल्म के निर्माता अनूप कुमार , कार्यकारी निर्माता नीलम भंडारी, मेरे मेनेजर बादशाह खान, मेरे  मेकपमेन   हितेश लिम्बचिया और पाखी हेगड़े के  मेकअप  मेन सुरेन्द्रनाथ प्रसाद  और प्रचारक उदय भगत व रंजन सिन्हा के साथ पटना में था .  सारे चैनल और अखबार वाले मेरी फिल्म संतान के बारे में जानना चाह रहे थे. दरअसल मुझे कहने में ये संकोच नहीं है की भोजपुरी में अच्छी फिल्मो की तादात बहुत ही कम है , फिल्म के नाम पर फुहरता का बोलबाला हो गया है. महिला दर्शको का रुझान सिनेमा घरो से कम हो गया है . जब भी बिहार जाता हूँ अक्सर सवालो से जूझना पड़ता है कब सुधरेगी भोजपुरी फिल्मो की दशा . अब संतान मैंने दर्शको के सामने रखा है , एक बाप को अपना हर बेटा प्यारा होता है , आज डेढ़ सौ भोजपुरी फिल्मो में अभिनय करने के बाद भी मेरी अच्छी फिल्मो की भूख बरकरार है और उसी का हिस्सा है संतान. पिछले सप्ताह मैंने फिल्म का विशेष शो देखा था. फिल्म में कई दृश्य ऐसे हैं जिसे देखकर आँखों में आंसू आते हैं. एक पत्नी का  त्याग  , एक प्रेमिका की चाहत के बीच अपनी बाँझ पत्नी को हौसला बढ़ाना और समाज के ताने से अपने प्यार की चादर पत्नी पर बिखेरना यानी मानवीय भावनाओ से ओतप्रोत है संतान . मेरे सभी सहयोगी कलाकारों ने बहुत अच्छा काम किया है इस फिल्म में , पाखी हेगड़े ने तो गजब की अभिनय क्षमता का परिचय दिया है . आप लोगो ने पाखी को मेरे साथ लहरिया लूटा ए राजा जी ने पसंद किया था , मेरा वादा है संतान को आप लोग मेरी जोड़ी को काफी पसंद करेंगे . मैं इस फिल्म के निर्माण के लिए स्वरुप फिल्म्स के पुनीत केला, अनूप कुमार और निर्देशक हैरी फर्नांडिस का शुक्रिया अदा करता हूँ , हैरी के साथ मेरी यह चौथी फिल्म है और वो मेरे पसंदीदा निर्देशकों में से एक हैं और हमेशा मेरी उम्मीदों से उन्होंने अच्छा काम किया है. एक दक्षिण भारतीय क्रिश्चन को भोजपुरी फिल्मो की इतनी समझ है की पूछिए मत . खैर  मुझे ख़ुशी है की संतान को जबरदस्त ओपनिंग मिली है , बिहार में दर्शको ने इस फिल्म का जिस तरह स्वागत किया है उससे मुझे काफी ख़ुशी मिली है . संतान जल्द ही मुंबई में आपके सामने होगी ... ...अगले हफ्ते फिर आपसे मुलाकात होगी ....
आपका अपना
रवि किशन

Friday 2 September 2011

गणपति बाप्पा मोरिया


विध्नहर्ता भगवान गणेश को स्मरण कर उनके चरणों को स्पर्श कर आपसे आज से हर सप्ताह अपने दिल की बात लेकर मुखातिब होगा आपका अपना रवि किशन शुक्ल . हर नयी शुरुवात भगवान गणेश की पूजा के साथ ही होती है और मेरे लिए यह सुखद संयोग है की आपको अपने दिल की बात बताने की जो नयी शुरुवात हो रही है वो भी गणेश उत्सव से ही. मेरी फिल्मो की ख़बरें तो आप अक्सर पढ़ते रहते हैं लेकिन मेरे जीवन के अनछुए पल आपको सिर्फ यहीं मिलेगा . मुझे पता है ईद की सेवइयां की मिठास अभी कम नहीं हुई है और भगवान गणेश के प्रति उत्साह बढ़ता जा रहा है . माहौल में खुशियाँ ही खुशियाँ है इसीलिए मैं भी आपकी ख़ुशी में शामिल हूँ और आपको भी अपनी ख़ुशी में शामिल कर रहा हूँ. गणपति बाप्पा हमारे घर भी पधारे हैं. घर में मानो मेला लगा है बच्चो के दोस्त, मेरी पत्नी के दोस्त और मेरे दोस्तों से घर भरा है .. पूजा अर्चना कर आपको अपने दिल का हाल बताने के लिए बैठा हूँ . बात की शुरुवात गणपति बाप्पा से की है तो आपको बता दूं की भगवान गणेश ने मुझे इतना कुछ दिया है जितनी कल्पना नहीं की थी मैंने और इस साल उनके आगमन को लेकर मैं काफी उत्साहित था क्योंकि उनके स्वागत के लिए पहली बार मुंबई में मेरे घर पर मेरे पिता पंडित श्याम नारायण शुक्ला उनका इंतज़ार कर रहे थे. यह पहला मौका है जब मेरे पिताजी इस त्योहार पर यहाँ मेरे साथ है. दो महीने पहले गाँव में उनकी तबियत ख़राब हो गयी थी , मैं बनारस गया ( जहाँ वो भर्ती थे ) हाथ पैर जोड़ा और जिद कर उन्हें मुंबई ले आया . मैं बरसो से उनसे निवेदन कर रहा था मुंबई आने का लेकिन गाँव से उन्हें बहुत प्यार है उसे किसी भी सूरत में छोड़ना नहीं चाहते थे. लेकिन मेरी भी जिद थी की आज मेरे साथ है . उन्होंने मेरा संघर्ष देखा है लेकिन इस बार जब मुंबई आये तो उन्हें बहुत ख़ुशी हुई , अपने बेटे को सुविधा संपन्न , हर शानो शौकत की चीजो के साथ देखना हर माता पिता को अच्छा लगता है ऊपर से बच्चो और पत्नी का प्यार उसमे चार चाँद लगा देता है . यहाँ आकर उन्हें काफी अच्छा लगा और उन्होंने कहा भी दुनिया की सबसे बड़ी ख़ुशी तब मिलती है जब बच्चे खुश हो . खैर , मैं अपनी ख़ुशी में आपको शामिल करते हुए यही कहूँगा की आज जो कुछ भी हूँ अपने माता पिता के आशीर्वाद और आपके प्यार से हूँ, आज भोजपुरी फिल्म जगत से बाहर जो इज्ज़त मुझे मिल रही है वो सबके नसीब में नहीं होती . जौनपुर के छोटे से गाँव विसुई का आपका अपना रवि किशन शुक्ल आज हिंदी फिल्म जगत में भी अपनी छाप छोड़ने में सफल हुआ है और उसकी वजह है आप लोग, जिन्होंने अपने रवि किशन की फिल्मो को सराहा , मेरे अभिनय की तारिफ की . आज मुंबई में नवरंग , नंदी, भारत, जैसे सिंगल स्क्रीन थियेटर के साथ साथ मल्टीप्लेक्स में भी अगर भोजपुरिया हीरो का होर्डिंग लगा है तो वो सब आप ही के कारण हुआ है. अभी हाल ही में मेरी फिल्म आई थी चितकबरे ... मिडिया और फिल्म समीक्षकों ने मेरे काम की काफी तारिफ हुई . अखबारों ने मेरे अभिनय को सराहा ..सच कहिये तो इससे काफी हौसला बढ़ता है .. ये आप लोगो का ही प्यार है की आज मेरे पास फिल्मो की लम्बी कतारे हैं. भोजपुरी में तो दर्ज़न से भी ज्यादा फिल्मे हैं लेकिन हिंदी में बड़े बड़े बैनर की फिल्मो में अच्छी भूमिका मिल रही है . सन्नी देओल के साथ मोहल्ला ८०, नसीर साहब के साथ चालीस चौरासी, संजय दत्त, अरसद वारसी , विवेक ओबेराय के साथ जिला गाजियावाद, सैफ अली खान के साथ एजेंट विनोद, के साथ साथ फिल्म जगत के कई पुरोधाओ की फिल्म मैं कर रहा हूँ. जहाँ तक भोजपुरी फिल्मो की बात है तो इसी शुक्रवार बिहार में मेरी फिल्म संतान रिलीज़ हो रही है ... बिहार में छः महीने के बाद मेरी कोई फिल्म रिलीज़ हो रही है और मुझे भरोसा है की इस फिल्म को भी आप दर्शको का बहुत प्यार मिलेगा . संतान काफी अच्छी फिल्म है , फिल्म में मेरे साथ पाखी हेगड़े और शुभी शर्मा हैं और मुझे पूरा भरोसा है आपको ज़रूर अच्छा लगेगा . संतान के बाद अगले शुक्रवार मेरी फिल्म फौलाद रिलीज़ हो रही है ... फौलाद में हर वो रंग है जिसे दर्शक देखना चाहते हैं. फिल्म के निर्देशक है फ़िरोज़ खान जो फिल्म जगत के जाने माने कैमरामैन है और मुझे मुझे उनके काम ने काफी प्रभावित किया है ... अंत में मैं महुआ के शो नाच नचैया धूम मचैया का जिक्र ज़रूर करना चाहूँगा . शो को अच्छी टीआरपी मिली है . महुआ ने भोजपुरिया इलाको से जिन दस लोगो को इस शो के लिए चुना है वो सारे अच्छे डांसर हैं. मुझे लगता है इस शो के माध्यम से भोजपुरी इंडसट्रीज को जल्द ही तीन चार एक्टर मिलने जा रहा है . मैं महुआ और साईं बाबा टेली फिल्म्स को धन्यवाद अदा करता हूँ जिन्होंने बिहार उत्तरप्रदेश के प्रतिभाओ को एक अच्छा मंच दिलाया है . बिहार उत्तर प्रदेश में प्रतिभाओ की कोई कमी नहीं है लेकिन सही मार्गदर्शन ना मिलने की वजह से उनकी प्रतिभा दम तोड़ देती है लेकिन अब उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाना का अच्छा अवसर मिल रहा है . मैं आप लोगो से भी आग्रह करता हूँ की अपने गाँव मोहल्ले , शहर, प्रदेश के प्रतिभावो को आगे बढ़ने का मौका दे और उनके कामो को सराहें ताकि उनका हौसला बड़े और अपने गाँव , माता पिता का नाम रोशन कर सके. अब मैं आपसे इज़ाज़त चाहूँगा ..... चलते चलते यही दुआ है मेरी की भगवान गणेश आप सभी को खुशियाँ प्रदान करे .... अगले सप्ताह आपसे फिर मुलाकात होगी ..........
आपका अपना
रवि