Friday 25 November 2011

महादेव ने बचाई जान ...


आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम . भगवान शिव का लाख लाख शुक्र है की आज मैं आपसे अपने दिल की बात शेयर कर रहा हूँ. वरना ये भी हो सकता था की आप लोगो से रिश्ता तोड़ शायद मैं यहाँ नहीं रहता . अभी फिलहाल मैं जोधपुर में विक्रम भट्ट साहब की फिल्म डेंजरस इश्क की शूटिंग कर रहा हूँ और आज ही बिहार में मेरी फिल्म हमार देवदास ( देवदास का भोजपुरिया रूप ) रिलीज हुई है . इन फिल्मो के बारे में थोड़ी चर्चा बाद में करूँगा पहले उस हादसे को आपसे बाटना चाहता हूँ जिसे मैंने पिछले शनिवार को बनारस में झेला था. पिछले शनिवार की रात मैं बनारस में हिंदी फिल्म इसक की शूटिंग में व्यस्त हो गया था. निर्माता शैलेश सिंह की इस फिल्म का निर्देशन मनीष तिवारी कर रहे हैं . कई दिनों से वहाँ रात में ही शूटिंग चल रही थी . हादसे वाली रात बनारस के घाट के पास ब्रिज पर शूटिंग चल रही थी. भोर के चार बजे उस रात का दृश्य अपनी चरम पर था . दृश्य के मुताबिक मैं अपनी गाडी से आता हूँ , सामने से एक ट्रक मेरा रास्ता रोकता है. दृश्य शुरू हुआ और अचानक तेज गति में आ रही ट्रक का ब्रेक फेल हो गया, जिससे ट्रक सीधा मेरी गाडी से आ टकराया . मेरी सोचने समझने की शक्ति तो उसी वक्त ख़तम हो गयी थी जब मुझे आभास हो गया था की ट्रक टकराने वाली है , लेकिन किसी अदृश्य शक्ति, जो निसंदेह मेरे अराध्य देव महादेव की थी के कारण मुझे यकायक चेतना आई और मैंने छलांग लगा दी, हालंकि थोड़ी देर हो चुकी थी लेकिन फिर भी पैरों में काफी चोट लगने के वावजूद मैंने खुद को सही सलामत पाया . मेरी गाडी की हालत देखकर मुझे लगा की पल भर की देरी मेरे लिए घातक साबित हो सकती थी. मैंने सबसे पहले अपने महादेव का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने उस कठिन पल में मेरे सोचने समझने की शक्ति मुझे वापस कर दी. मेरे दिन की शुरुवात हर हर महादेव से ही होती है और आपने महुआ चैनल का मेरा कोई भी शो देखा होगा तो उसमे मैंने उन्हें याद किया ही है. मेरा सही सलामत होना उनके प्रति मेरी भक्ति और आस्था का ही परिणाम है. इंसान को भगवान पर आस्था रखनी ही चाहिए ,क्योंकि भगवान में आस्था से सारे दुःख दर्द दूर हो जाते हैं , आपको लग रहा होगा की मेरी आस्था ने अंधविश्वास का रूप ले लिया है , अगर ऐसा है तो आप गलत सोच रहे हैं क्योंकि इसे सिर्फ हम ही नहीं वैज्ञानिक भी मानते हैं. वो अब मानते हैं की ईश्वर में आस्था रखने वाले लोग सकारात्मक रवैया अपनाकर दर्द को कम कर सकते हैं , आप सोच रहे होंगे की क्या ये सच है ? तो आपको बता दूं की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने ईश्वर की आस्था की परखने के लिए बरसो पहले एक टेस्ट किया था. टीम ने 12 आस्तिक और 12 नास्तिकों को इलेक्ट्रिक शॉक दिया गया. इस दौरान ये लोग वर्जिन मैरी और लियोनार्दो द विंची की श्लेडी विद एन अर्माइनश् पेंटिंग्स को देख रहे थे. इन लोगों को आधे घंटे तक एमआरआई स्कैनर में रखा गया, उन्हें चार सेशनों में 20 झटके दिए गए. जब वे पेंटिंग की ओर देखते थे, तो उन्हें होने वाले दर्द को माप लिया जाता था. वैज्ञानिकों ने देखा गया कि भगवान के प्रति आस्था रखने वालों को कम दर्द हुआ, ब्रेन स्कैनिंग से देखा गया कि उस दौरान आस्तिकों के दिमाग में दर्द सहन करने वाला हिस्सा ज्यादा ऐक्टिव हो जाता था, इसके उलट, नास्तिकों के दिमाग में दर्द को सहन करने से जुड़ी कोई ऐक्टिविटी नहीं दिखी . मैंने यहाँ इसीलिए इसका जिक्र किया क्योंकि मेरा खुद का मानना है की आस्था में बहुत बड़ी शक्ति छुपी होती है. खैर , मैं खुद को खुशनसीब मानता हूँ की भगवान महादेव ने मेरी जान बचा ली. उन्होंने ही हमें इस दुनिया में भेजा है और जब भी जाऊंगा उनकी ही मर्जी से जाऊँगा . चलते चलते मैं आपसे मेरी आज रिलीज़ हुई मेरी फिल्म हमार देवदास की थोड़ी चर्चा करना चाहता हूँ. निर्देशक किरण कान्त वर्मा ने कम बजट में देवदास जैसी कहानी को अच्छे अंदाज़ में भोजपुरी में पेश किया है. एक साफ़ सुथरी भोजपुरी फिल्म देवदास जल्द ही मुंबई के सिनेमा घरो में भी दस्तक देगी , आप मेरा यह स्तम्भ मुंबई से प्रकाशित लोकप्रिय हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर रविवार पढ़ सकते हैं . आप अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव हमें अवश्य दें .
आपका अपना
रवि किशन

Saturday 12 November 2011

ZILA GAZIABAAD


जिला गाजियाबाद
आप सभी को आपके अपने रवि किशन शुक्ला का प्रणाम. आज ही (शुक्रवार) बनारस से लौटा हूँ और मुंबई में अपने मित्र विनोद बच्चन की फिल्म जिला गाजियाबाद की शूटिंग कमलिस्तान स्टूडियो में कर रहा हूँ . जिला गाजियाबाद की चर्चा मैं बाद में करूँगा सबसे पहले देश की सांस्कृतिक राजधानी बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के देव दीपावली का जिक्र जरूर करना चाहूँगा. आप सभी को मैं कार्तिक पूर्णिमा की बधाई देता हूँ. हमारे जो भाई बनारस या उसके आस पास के होंगे उन्हें काशी की देव दीपावली की जानकारी होगी ही , लेकिन आप में से बहुत लोग ऐसे होंगे जिन्हें शायद इनकी जानकारी ना हो , इसीलिए मैं आपसे अपना अनुभव शेयर करना चाहूँगा . बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी की बात ही निराली है . पूरा शहर मुझे भक्तिमय लगता है. दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा आता है और इस दिन का यहाँ के बच्चे , बूढ़े , जवान, माता बहनों को बेसब्री से इंतजार रहता है. एक तरफ तो वो इस पवित्र दिन गंगा मैया के चरणों में आकर पुण्य के भागीदारी बनते हैं तो दूसरी ओर देव दीपावली का नजारा देव लोक का आभास दिलाता है. आप लोगो को पता ही है की शरद ऋतु को भगवान श्रीकृष्ण की महा रासलीला का काल माना जाता है. शीमद भगवत गीता में इसका उल्लेख मिलता है और उसमे कहा गया है की शरद पूर्णिमा की चांदनी में श्रीकृष्ण का महारास सम्पन्न हुआ था. एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शंकर ने देवताओं की प्रार्थना पर राक्षस त्रिपुरा सुर का वध किया था, परम्परा और आधुनिकता का अदभुत संगम देव दीपावली धर्म परायण महारानी अहिल्याबाई से भी जुड़ा है. अहिल्याबाई होल्कर ने प्रसिद्ध पंचगंगा घाट पर पत्थरों से बना खूबसूरत हजारा दीप स्तंभ स्थापित किया था जो इस परम्परा का साक्षी है. आधुनिक देव दीपावली की शुरुआत दो दशक पूर्व यहीं से हुई थी . देव दीपावली की तैयारी यहाँ के लोग साथ दिन पहले से ही शुरू कर देते हैं , घाटो को सजाया संवारा जाता है , शाम के समय गंगा के करीब 10 किलोमीटर में फैले अर्द्धचन्द्राकार घाटों तथा लहरों में जगमगाते, इठलाते बहते दीपो के कारण गंगा मैया की छटा अद्भुत लगती है . कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर काशी में होना मानो जैसे मेरे लिए भगवान से मिलने के सामान था . हजारो की भीड़ के साथ गंगा मैया की जय और हर हर महादेव का उदघोष एक भक्तिमय जोश का संचार करता है. मैं खुशनसीब हूँ जिसे ऐसा अवसर प्राप्त हुआ है. ऐसा लगता है जीवन सफल हो गया . खैर दो तीन दिन बाद मुझे फिर से बनारस जाना है जहाँ फिर से इसक की शूटिंग करनी है . जिला गाजियाबाद की शूटिंग के कारण मुझे मुंबई आना पड़ा . यहाँ संजय दत्त , अरसद वारसी, विवेक ओबेराय के साथ शूटिंग कर रहा हूँ. जिला गाजियाबाद में मेरा किरदार रासिद अली नाम के ड़ोंन का है. बहुत ही अच्छी फिल्म फिल्म बन रही है .संजू बाबा के साथ मैंने लक में काम किया था. मुझे पूरा भरोसा है की आपलोगों को फिल्म जरूर पसंद आएगी. कल ही मुंबई में मेरी भोजपुरी फिल्म फौलाद रिलीज हुई है . मुझे ख़ुशी है की पहली बार कोई भी भोजपुरी फिल्म मुंबई सर्किट में पैतीस सिनेमाघरों में लगी है और आपलोग उन्हें पसंद भी कर रहे हैं. छठ मैया के आशीर्वाद और आपके प्यार से पिछले सप्ताह रिलीज हुई मेरी दो भोजपुरी फिल्मे रिलीज हुई . उत्तर प्रदेश के मल्टीप्लेक्स में मेरी फिल्म केहू हमसे जीत ना पाई रिलीज हुई और लोगो ने काफी सराहा है . फिल्म वहां अच्छा व्यवसाय कर रही है . मैं निर्माता डॉ. करीम दंपत्ति व निर्देशक एम.आई.राज. को बधाई देता हूँ जिन्होंने देशभक्ति पर आधारित फिल्म बनाने का फैसला किया. मैं दुर्गा दादा को भी बधाई देता हूँ क्योंकि उनकी फिल्म पियवा बडा सतावेला बिहार में अच्छा व्यवसाय कर रही है.
आप मेरा यह ब्लॉग मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर रविवार पढ़ सकते हैं.
आपका अपना रवि किशन

Tuesday 1 November 2011

एजेंट विनोद सैफ और मैं


सभी भोजपुरिया भाइयों - बहनों को आपके अपने रवि किशन शुक्ल का प्रणाम . पिछले दस साल में ये पहला मौक़ा है जब छठ के पावन अवसर पर भगवान सूर्या देव एवं छठी मैया की आराधना मुंबई में नहीं कर पाया . दरअसल मैं अभी जैसलमेर की रेगिस्तान की ख़ाक छान रहा हूँ. यहाँ मैं सैफ अली खान की होम प्रोडक्शन की फिल्म एजेंट विनोद की शूटिंग कर रहा हूँ . वहाँ ३१ अक्टूबर तक ही शूटिंग होनी थी लेकिन किसी कारण तीन दिन का अतिरिक्त समय लग गया, जिसके कारण मेरा आगे का पूरा कार्यक्रम बदल गया. आपलोगों को तो पता ही है की मैं हर साल जुहू बीच पर छठ के पावन अवसर पर जाता रहा हूँ , इस बार भी मुझे अपने मित्र संजय निरुपम जी और सुभाष पासी जी द्वारा आयोजित पूजा पंडाल में मौजूद रहकर आपलोगों से मिलना था. मैं आपलोगों से क्षमा चाहता हूँ. वैसे इंसान को दोस्तों का नुकसान नहीं करना चाहिए . मैंने आपको बताया की मैं सैफ अली खान की फिल्म कर रहा हूँ . सैफ अली खान को आखिर मुझमे क्या दिखा की उन्होंने जब अपने होम प्रोडक्शन की पहली फिल्म बनाने की सोची तो मुझे भी इसमें काम करने का आमंत्रण भेजा ? मेरे अधिकतर जानने वालो को भी पता नहीं होगा की मैंने सैफ अली खान के साथ बरसो पहले भी एक फिल्म की थी . फिल्म का नाम था कीमत जो १९९८ में रिलीज़ हुई यही इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थे अक्षय कुमार , सैफ और रवीना टंडन , जबकि मैं भी मोहन त्रिपाठी नाम के एक युवक की एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका में था. सैफ से मेरी पहचान उसी फिल्म के दौरान हुई थी . नवाब पटौदी और शर्मीला टैगोर जैसी शख्सियत की संतान होने के वावजूद सैफ में कोई इगो नहीं था , अगर रहता तो उस दौर में जब मेरी पहचान एक संघर्षरत कलाकार की थी तक की पहचान को वो भूल जाते , लेकिन सैफ को पूरी बातें याद थी इसीलिए उन्होंने जब मुझे अपनी फिल्म के लिए आमंत्रित किया तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा . हाँ तो मैं आपको बता रहा था की मेरे शूटिंग का कार्यक्रम इनदिनों काफी व्यस्त है . एजेंट विनोद के कारण एक तरफ जहाँ मुझे विक्रम भट्ट की फिल्म डेंजरस इश्क की शूटिंग में नहीं पहुच पाया हूँ तो दूसरी तरफ बनारस में शैलेश सिंह की इसक की भी शूटिंग में भाग नहीं ले पा रहा हूँ. इन दोनों फिल्मो के बीच मुझे एक दिन की शूटिंग विनोद बच्चन की फिल्म जिला गाज़ियाबाद और एक दिन महुआ के शो नाच नचैया धूम मचैया की भी शूटिंग करनी थी. मैं कभी नहीं चाहता की मेरे कारण किसी का भी कोई नुकसान हो . जा सैफ को यह बात पता चली तो उन्होंने खुद मेरे निर्माता निर्देशकों से बात की. खैर मुझे ख़ुशी है की आज जैसलमेर के शूटिंग का आखिरी दिन है और कल यानी गुरूवार को मैं बनारस पहुच जाऊंगा . बनारस यानी बाबा विश्वनाथ की नगरी , जिस शहर को मैं बहुत पसंद करता हूँ.
आपलोगों ने इस रविवार महुआ टीवी के शो नाच नचैया धूम मचैया में मेरे भगवान यानी पंडित श्याम नारायण शुक्ल जी को देखा होगा ? जी हाँ मेरे भगवान यानी मेरे पिताजी , जिनकी बदौलत आज मैं यहाँ तक पंहुचा हूँ. मैंने कभी सोचा तक नहीं था की एक दिन किसी मंच पर कैमरे के सामने वो मेरे साथ होंगे . मैं उनके बारे में ज्यादा तो कुछ नहीं कहूँगा बस इतना ही कहना चाहूँगा की उनसे मुझे काफी उर्जा मिलती है . खैर चलते चलते एक बार फिर आप सबो को दीपावली और छठ पूजा की हार्दिक बधाई . आप मेरा ये स्तम्भ मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में भी पढ़ सकते हैं .
आपका अपना
रवि किशन