Thursday, 3 January 2013

Jwalamandi - ek Prem Kahani


ज्वालामंडी - एक प्रेम कहानी
आप सभी को  आपके अपने रवि किशन का प्रणाम. साल 2013 की शुरुवात हो चुकी है , आशा है आप लोगो ने नए साल का भरपूर स्वागत किया होगा . मैं नए साल की पूर्व संध्या पर गोवा में था . दरअसल मेरा शो था वहाँ . इसीलिए मेरा पूरा परिवार भी नए साल के आगमन के जश्न में शरीक होने के लिए मेरे साथ ही था . गोवा जैसे अंग्रेजियत वाले शहर में आपके भोजपुरी स्टार का शो होना इस बात को दर्शाता है की भोजपुरी आज कहाँ तक पहुच चुकी है। वैसे जश्न तो पूरा महिना चलेगा लेकिन अब वापस काम शुरू हो चूका है . साल की मेरी पहली शूटिंग है निर्देशक हैरी फर्नांडिस की मराठी फिल्म  मध्यमवर्ग . मैं अभी इसकी शूटिंग ही कर रहा हूँ चंदिवाली स्टूडियो में , थोडा वक़्त मिला तो सोचा आपसे रूबरू हो जाऊं , इसके तुरत बाद मुझे अँधेरी के नवरंग सिनेमा हॉल में जाना है क्योंकि मेरी फिल्म ज्वालामंडी - एक प्रेम कहानी मुंबई में साल की पहली रिलीज़ फिल्म है . मेरे साथ मेरे को स्टार रानी चटर्जी , अवधेश मिश्रा और सीमा सिंह भी रहेंगे . इस फिल्म की चर्चा मैंने एक बार पहले भी आपसे की थी। बिहार में इस फिल्म ने काफी अच्छा कारोबार किया है और अभी भी कई सिनेमा घरो में चल रही है . मैं इस फिल्म पर चर्चा करने से पहले फिल्म के निर्देशक जगदीश शर्मा, निर्माता राजू सिंह, अपने सहयोगी कलाकार रानी चटर्जी, अवधेश मिश्रा सहित पूरी यूनिट को बधाई देना चाहता हूँ. इस फिल्म में मेरा किरदार ऐसे युवक की है जो अपनी प्रेमिका को पाने के लिए शहर आकर ऑटो रिक्शा चलने लगता है और पैसे कमा कर आर जब वो वापस आता है तो अपनी प्रेमिका को एक किन्नर के कोठे पर पाता है . फिल्म का ट्राइल शो  देखकर ही मैंने आकलन कर लिया था की फिल्म हिट होगी . . अवधेश मिश्रा ने किन्नर की भूमिका में बहुत ही अच्छा काम किया है . मेरी और रानी की जोड़ी को लोगो ने हमेशा ही पसंद किया है . पिछले साल हमने कैसन पियवा के चरित्तर बा में साथ साथ काम किया था और दर्शको ने उस फिल्म को भी काफी पसंद किया था . इस साल भी आप हमें साथ साथ देखेंगे फिल्म साली बड़ी सतावेली में . इस फिल्म में वो मेरी साली की भूमिका में है , जबकि रिंकू घोष मेरी पत्नी की . हमने साथ में हमेशा ही अच्छी फिल्मे दी है . फिल्म जल्द ही रिलीज़ होगी और आप लोगो का प्यार फिर से हमें मिलेगा .लेकिन फिलहाल मुंबई में आपके सामने ज्वालामंडी है आप लोग इस फिल्म को अवश्य देखिये क्योंकि बहुत ही मनोरंजक फिल्म है ये . मेरा तो ऐसा मानना है की खलनायक अवधेश मिश्रा अपने भोजपुरी फिल्म कैरियर की सर्वश्रेष्ठ भूमिका में हैं . वैसे भी वो कलाकार कमाल के हैं . वो अपने हर किरदार में रम  जाते हैं , ज्वालामंडी देखकर आपको खुद अंदाजा लग जाएगा की वो कैसे कलाकार हैं। अंत में आपसे विदा लेते हुए यही कहूँगा की भोजपुरी की अच्छी फिल्मे जरुर देखिये क्योंकि भोजपुरी फिल्मे परदेस में देस की याद दिलाती है . अगले शनिवार आपसे फिर मुलाकात होगी .
आपका
रवि किशन

Sunday, 30 December 2012

अलविदा 2012 स्वागतम 2013


आप सभी को आपके अपने रवि किशन का प्रणाम . साल 2012 का आज आखिरी दिन है और कल  हम नए साल में प्रवेश कर जायेंगे , अर्थात इस साल मैं आखिरी बार अपने दिल का हाल आपसे बयान कर रहा हूँ . इसीलिए सबसे पहले आप सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाये। सबसे पहले आप सभी को नए साल की ढेर सारी बधाई , आने वाले साल में आपके सारे सपने पूरे हो यही दुआ है मेरी। जब भी साल की समाप्ति होती है हर कोई पूरे साल में क्या खोया क्या पाया यह सोचता जरुर है . हर इंसान नव बर्ष के आगमन पर अपने उन सपनो के बारे में सोचता है जिसे वो पिछले साल पूरा नहीं कर पाया है, जो अधुरा रह गया है . यानी वह अपने हर काम का आकलन करता है . जहां तक मेरी बात है तो साल 2012 मेरे लिए एक बहुत ही अच्छा साल रहा है . इस साल भी मेरी रिलीज़ फिल्मो की संख्या सबसे अधिक रही है . हिंदी और भोजपुरी मिला कर इस साल मेरी 11 फिल्मे रिलीज़ हुई है जिनमे हिंदी में चालीस चौरासी , डेंजरस इश्क, जीना है तो ठोक  डाल , भोजपुरी में  कैसन पियवा के चरित्तर बा, ज्वालामंडी , केहू हमसे जीत ना पाई आदि प्रमुख है . हम कलाकार लोग हमेशा चाहते हैं की उसे दर्शको का प्यार मिलता रहे क्योंकि उस से ही हमें ऊर्जा मिलती है , ताकत मिलती है और नए जोश का संचार होता है . अपने माता पिता के आशीर्वाद से मुझे आप लोगो का भरपूर प्यार मिलता रहा है और मैं जहां भी गया आप लोगो ने मुझे सराहा। यह आपका प्यार ही है की मुझे सिर्फ अपने देश में ही नहीं विदेश में भी सम्मान मिला . आपको याद होगा की मुझे मौरिशास सरकार ने भोजपुरिया महानायक व भोजपुरी के भागीरथी के अवार्ड से सम्मानित किया था और भोजपुरी फिल्म जगत का मैं एकलौता कलकार हूँ जिसे वहाँ आयोजित अप्रवासी भारतीय दिवस में बतौर स्पीकर आमंत्रित किया गया था। यह सम्मान कहने को तो मुझे अब तक मिले सौ से भी अधिक अवार्ड और सम्मान का एक हिस्सा है लेकिन असल में यह सम्मान सिर्फ मेरा नहीं पूरे भोजपुरिया समाज और भोजपुरी फिल्म इंडसट्रीज़ का था। यह  आपका मेरे प्रति प्यार ही है की मैं जब सेलिब्रेटी डांस शो झलक दिखला जा का हिस्सा बना तो आप लोगो के वोट ने ही मुझे लम्बे समय तक वहाँ टिकाये रखा , वरना मुझ जैसे ठुमका लगाने वाले के लिए तरह तरह के डांस को अंजाम देना आसान नहीं था . इस साल में मेरी एक बड़ी उपलब्धि यह भी रही की मैंने बतौर मुख्य कलाकार एक मराठी फिल्म मध्यमवर्ग की शूटिंग की और फिल्म जल्द ही महाराष्ट्र के सिनेमाघरों में होंगी .  साल 2012 की बात करूँ तो यह साल काफी सारे गम भी दे गया . बॉलीवुड को सबसे बड़ा नुकसान हुआ यश चोपड़ा और राजे श खन्ना के चले जाने से। राजेश खन्ना तो खैर लंबी बीमारी से जूझ रहे थे और लगभग रिटायर जिंदगी जी रहे थे पर यश चोपड़ा तो आज भी सक्रिय थे। उनकी शाहरुख खान, कैटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा अभिनीत रोमांटिक फिल्म ˜जब तक है जान उनकी मृत्यु उपरांत रिलीज हुई थी। यश चोपड़ा का जाना रोमांस फिल्मों के एक युग की समाप्ति जैसा था . यश चोपड़ा के बड़े भाई बीआर चोपड़ा की फिल्म ˜वक्त  की जोहरा जबीं यानी अचला सचदेव का भी इसी साल 30 अप्रैल को निधन हो गया। पाकिस्तान में जन्मीं अचला ने  ˜फैशनेबल वाइफ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। ˜ऐ मेरी जोहरा जबीं  जैसा रोमांटिक गीत उन पर ही पिक्चराइज हुआ, जो आज तक यादगार है। इसी तरह दारा सिंह भी इस साल ही हमें छोड़ गए। उन्होंने कई धार्मिक फिल्मों में हनुमान, बलराम, भीम जैसे बलशाली पौराणिक कैरेक्टर किये। उन्हें उनकी सेवाओं के लिए राज्यसभा में भेजा गया था। अवतार कृष्ण हंगल उर्फ एके हंगल का लंबी बीमारी के बाद 26 अगस्त को 95 साल की उम्र में निधन हो गया। स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने वाले हंगल थियेटर के बड़े नाम थे। उन्होंने हिन्दी फिल्मों में हमेशा कैरेक्टर रोल ही किये। फिल्म ˜शोले  के इमाम साहब के रूप में उन्हें आज भी याद किया जाता है। साठ के दशक के चॉकलेटी ब्वॉय जॉय मुखर्जी का जाना काफी दुखद घटना रही इस साल की . अपने कटाक्ष से हर घर तक अपनी पहुच बनाने में सफल रहे हास्य व्यंग के बादशाह जसपाल भट्टी भी साल 2012 में हमें अलविदा कह गए। भगवान् मनोरंजन जगत के इन धुरंधरो की आत्मा को शांति प्रदान करे . अंत में मैं लोगो से इस साल अलविदा लेते हुए अगले साल भी आप लोगो का भरपूर मनोरंजन का वादा करता हूँ . अगले साल हिंदी में मेरी फिल्म मोहल्ला अस्सी, जिला गाजियाबाद, इश्क, लकी कबूतर , मेरे डैडी की मारुती, और बजाते रहो आप लोगो के सामने होंगी जबकि भोजपुरी में धुरंधर, छपरा के प्रेम कहानी प्रतिबन्ध, जीना तेरी गली में, बिजयी भवः, के साथ साथ मेरी कई फिल्मे रिलीज़ होंगी . चलते चलते एक बार फिर आप सबको को नए साल की हार्दिक बधाई .
आपका
रवि किशन

Friday, 21 December 2012

शर्मसार हुई इंसानियत

 
आप सभी को आपके अपने रवि  किशन का प्रणाम . आज आपसे अपने दिल की बात करते हुए मन कुछ अशांत है। बात ही ऐसी है , पता नहीं दुनिया इतनी बेरहम कैसे हो गयी है . दिल्ली में जो कुछ भी हुआ उस से इंसानियत शर्मसार हुई है . भगवान् ने इस दुनिया को बनाया और सभी जीव जंतु में सिर्फ हम इंसानों को ही इतनी अक्ल दी की हम इस दुनिया को चला सके पर क्या कर रहा है इंसान ? एक बेबस लाचार लड़की के साथ जिस तरह कुकर्म किया गया उसकी जितनी निंदा की जाये कम है . दिल्ली हमारे देश की राजधानी है और अगर वहाँ ही हमारी माँ बहने सुरक्षित नहीं है तो दूर दराज के गाँव में क्या हालत होंगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। आज ही मैंने समाचार पत्र में सिलीगुड़ी की एक घटना पढ़ी जहां 6 दरिंदो ने एक अबला की इज्जत लूटने के बाद उसकी हत्या कर दी। यह कोई नयी घटना नहीं है, आये दिन या यूँ कहें की  रोज़ अखबारों में कहीं नहीं कहीं की इस तरह की घटना का जिक्र रहता ही है। सवाल उठता है आखिर हम इतने गिर क्यों गए हैं ? क़ानून का डर हमें क्यों नहीं है ? बलिया की जिस लड़की के साथ जो कुछ भी हुआ और उसके बाद आम लोगो में जिस तरह की जागरूकता या विरोध हुआ , यह हर ऐसी घटना में होनी चाहिए . कुकर्मियों को कानून का डर नहीं है पर जब आम इंसान इसके खिलाफ उठ खडा हुआ तो इन अधर्मियों की हिम्मत इस तरह के कुकर्म की नहीं होगी। हर इंसान किसी न किसी माँ का बेटा होता है, किसी बहन का भाई और क्किसी का बाप . अगर उन कुकर्मियों को यह एहसास हो जाये की उसकी भी कोई बहन है , उसकी भी बेटी है और उसकी भी माँ है तो इस तरह की घटना कभी नहीं होगी। हम जिस समाज में जन्म लेते हैं उस समाज के प्रति भी हमारा कोई दायित्य होता है , पर अफ़सोस की बात तो यह है की आधुनिकता के इस दौर में लोग अपना कर्त्तव्य भूल गए हैं , हर छोटी घटना के खिलाफ भी अगर हम एक जुट हो जाएँ तो कभी कोई बड़ी घटना कभी भी  नहीं होगी . पर हम अक्सर तब जागते हैं जब खुद पर बात आती है . ये अच्छी बात है की आज पूरा देश दिल्ली की घटना के खिलाफ एक जुट हो गया है . हमें इस एक जुटता का बरकरार रखना होगा . यह इंसानी फितरत है की किसी एक की बात भले ना सुनी जाये पर उसी बात को अगर सौ लोग बोले तो उसकी बात को कोई अनसुना नहीं कर सकता . खैर, मैं इस तरह की शिकार हुई तमाम बहनों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूँ . उन  कुकर्मियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कारवाई की जानी चाहिए ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृति ना हो . अंत में मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ इस मानसिकता के कुकर्मी  का हर तरह से विरोध करें ताकि हमारी माँ , बहने और बेटी निडर होकर जी सके . अगले शनिवार फिर आपसे बात होगी .
 आपका रवि किशन 

Friday, 23 March 2012

जय माता दी

आप सभी को आपके अपने रवि किशन का प्रणाम . सबसे पहले आप सभी को नवरात्रि, नूतन वर्ष व गुडी पाडवा की हार्दिक बधाई . आज से ( शुक्रवार से ) चैत्र नवरात्र की शुरुवात हो चुकी है . हम सबके लिए ख़ुशी की बात है की इस साल हमें माँ दुर्गा की भक्ति भाव में डूबने के लिए एक अतिरिक्त दिन मिल रहा है. शुक्रवार से शुरू हुआ यह त्योहार रामनवमी यानी एक अप्रेल तक चलेगा . अर्थात यह दस दिन काफी पवित्र दिन है यह अवसर है नवसृजन के नवउत्साह का, जगत को प्रकृति के प्रेमपाश में बांधने का. पौराणिक मान्यताओं को समझने व धार्मिक उद्देश्यों को जानने का, यही है नवसंवत्सर, भारतीय संस्कृति का देदीप्यमान उत्सव, चैत्र नवरात्रि का आगमन, परम ब्रह्म द्वारा सृजित सृष्टि का जन्मदिवस का विशेष अवसर. जय माता दी - यह एक ऐसा मंत्र है जिसके जाप से सारे दुखों का निवारण होता है, माँ दुर्गा के नाम में वो शक्ति है जो हमारे शरीर में शक्ति ऊर्जा प्रदान करती है और माँ का ह्रदय तो इतना विशाल है की इसमें सारी श्रृष्टि समा सकती है. यही बात है की नवरात्र में हर लोग पवित्रता पालते हैं . हम सभी को पता है की ये दुनिया एक अदृश्य शक्ति से संचालित होती है और वो ही शक्ति हमारे अच्छे बुरे कामो पर नजर रखती है , इसीलिए जीवन में सदाचार अपनाना ही चाहिए अगर आपके कर्म अच्छे हैं तो कितनी भी बाधाएं क्यों नहीं आये आपको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता . मैंने अपनी जिंदगी में अनेक उतार चढ़ाव देखे हैं. कभी कभी तो ऐसा भी हुआ है जब एक दो नहीं कई बाधाएं मेरी राह में पत्थर डाले नजर आये पर मैंने भगवान पर भरोसा किया और अपनी राह पर आगे बढ़ता गया . आज हालत ये है की मैं तो आगे बढ़ता गया और वो लोग काफी पीछे छुट गए , इतना पीछे की मैं चाह कर भी उन्हें नहीं देख सकता . खैर भगवान का लाख लाख शुक्र है की मैंने कभी अनजाने में भी किसी की राह में बाधा डालने की कोशिश नहीं की . आज मेरे लिए ख़ुशी का दिन है की मेरे पुराने दोस्त सैफ अली खान की फिल्म एजेंट विनोद रिलीज हुई है. उनकी आग्रह पर ही मैंने अतिथि भूमिका की है . गुरुवार को फिल्म का विशेष शो रखा गया था , मैं चूँकि पनवेल में दक्षिण भारत के एक बड़े निर्माता की बड़ी भोजपुरी फिल्म की शूटिंग कर रहा हूँ इसीलिए फिल्म देखने जा नहीं सका . मेरी बेटी रीवा फिल्म देखने गयी थी उसने और मिडिया के मेरे मित्रों ने मुझे फोन कर बताया की उन्हें मेरा छोटा काम बहुत पसंद आया . सैफ ने भी आपलोगों के भोजपुरिया हीरो यानी की मुझे सम्मान देते हुए परदे पर मेरा आभार व्यक्त किया है. फिल्म अच्छी बनी है और मेरी दिली तमन्ना है की आप लोग भी इस फिल्म को देखें . जिस तरह आप लोगो ने होली पर रिलीज हुई मेरी फिल्म कईसन पियवा के चरित्तर बा को प्यार दिया ऐसा ही प्यार इस फिल्म को भी दें. मुझे यह बताने में ख़ुशी हो रही है की कईसन पियवा की रफ्तार बढ़ चुकी है क्योंकि भारी तादात में महिलाएं इसे देखने आ रही है . भोजपुरी फिल्मो पर अक्सर आरोप लगता है की महिलाओं ने इस से नाता तोड़ लिया लिया है , जबकि ऐसा है नहीं अच्छी फिल्मे आती है तो महिलाएं अवश्य फिल्मे देखती है . कईसन पियवा के चरित्तर बा को महिलाएं पसंद कर रही है इसका मतलब फिल्म अच्छी बनी है . खैर , यह सब आपलोगों का ही प्यार है . मैं अभी जिस फिल्म की शूटिंग कर रहा हूँ यह फिल्म भी काफी अच्छी बन रही है , इसकी चर्चा मैं आपलोगों से अगले शनिवार को करूँगा . आप मेरा यह स्तम्भ मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में हर शनिवार पढ़ सकते हैं. . अगले सप्ताह फिर आपसे मुलाकात होगी .. जय माता दी
आपका रवि किशन

Friday, 20 January 2012

जय हो भोजपुरिया समाज

आप सभी को आपके अपने रवि किशन का प्रणाम . अभी मैं सिलवासा में दयाल निहलानी जी की पहली भोजपुरी फिल्म की शूटिंग कर रहा हूँ , इस बारे में आगे चर्चा करूँगा क्योंकि अभी अभी मुझे एक दुखद समाचार मिला है , प्रसिद्द फिल्म समीक्षक निकहत काजमी जी का आज (शुक्रवार) सुबह देहावसान हो गया . देश के सबसे बड़े अंग्रेजी दैनिक टाइम्स ऑफ़ इंडिया के साथ वो पिछले २४ साल से जुडी थी. मात्र एक सप्ताह पहले मैंने उनसे बात की थी और मैंने उन्हें धन्यवाद दिया था क्योंकि उन्होंने पिछले सप्ताह रिलीज़ हुई मेरी फिल्म चालीस चौरासी की समीक्षा की थी . भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे, फिल्म इंडसट्रीज के लिए यह अपूरणीय क्षति है . यहाँ सिलवासा में जब मैंने यह खबर यूनिट के लोगो को दी तो वो भी दुःख में डूब गए . जिन्हें भी उनसे मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था उनके सामने स्वर्गीय निकहत जी का मुस्कुराता चेहरा सामने आ गया. खैर , यह तो संसार का नियम है , एक ना एक दिन हम सभी को जाना है , हाँ एक कसक दिल में रहती है अपनों के जाने की . मैं आपलोगों के लिए अपना ये स्तम्भ शुक्रवार को लिखता हूँ और पिछले सप्ताह रिलीज़ हुई मेरी तीनो फिल्मे आज दुसरे सप्ताह में पहुच गयी है , मैं आप लोगों का शुक्रिया अदा करता हूँ की तीनो फिल्मो को आपने प्यार दिया . हिंदी फिल्म चालीस चौरासी ने पहले सप्ताह में ही अपने लागत के करीब पहुच गयी है , मतलब पैसा वसूल और अगली फिल्म की तैयारी. बिहार में रिलीज़ हुई मेरी फिल्म केहू हमसे जीत ना पाई अपने सभी रिलीजिंग सेंटर में दुसरे सप्ताह में पहुच गयी है . फिल्म के वितरक पुनीत ने मुझे बताया है की सिनेमाघरों में दो सप्ताह पूरा करने के बाद फिल्म की आधी से भी कहीं अधिक लागत बिहार से ही पूरी हो जाएगी , उत्तर प्रदेश में भी फिल्म ने अच्छा कारोबार किया है और अगले सप्ताह यह फिल्म मुंबई में आप लोगो के सामने होगी . मुंबई में तो आप लोग मेरी फिल्म को हाथो हाथ उठा लेते हैं इसीलिए यहाँ का व्यवसाय अच्छा होना तय है . मैं फिल्म के निर्माता डॉ. विजाहत करीम और निर्देशक एम.आई.राज और अपने सहयोगी कलाकारों को उनकी फिल्म की सफलता के लिए बधाई देता हूँ . पिछला सप्ताह पूरे भोजपुरी समाज के लिए एक खुशखबरी लेकर आया था क्योंकि उनकी भाषा की कोई पहली फिल्म संतान - एगो तोहफा विदेश में रिलीज़ हुई वो भी नियमित शो में. यह फिल्म अगले महीने मुंबई में लगेगी . इस फिल्म को भी प्रदीप भैया और उनकी टीम रिलीज़ कर रही है जो आज की तारीख में मुंबई में भोजपुरी फिल्म के निर्माताओं के लिए अच्छे वितरको में से एक माने जाते हैं . संतान एक बहुत ही अच्छी पारिवारिक फिल्म है और ऐसी फिल्म है जिसे आप अपने परिवार के साथ बैठकर देख सकते हैं. अंत में मैं दयाल निहलानी जी की पहली भोजपुरी फिल्म का जिक्र करना चाहूँगा . दयाल जी हिंदी फिल्मो के जाने माने निर्देशक है उन्होंने अंधायुद्ध , गेम्बलर और करमयोद्धा जैसी काफी अच्छी फिल्मे बनायी है अब पहली बार भोजपुरी फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं , दयाल जी श्याम बेनेगल सर के साथ बरसो से जुड़े हैं और मैंने भी श्याम सर के साथ दो फिल्मे वेलकम तो सज्जनपुर और वेल्डन अब्बा किया है इसीलिए दयाल जी से मेरा पुराना सम्बन्ध रहा है . मैं उनके भोजपुरी आगमन पर उन्हें बधाई देता हूँ और उन जैसे लोगो के भोजपुरी में आने से भोजपुरी फिल्मो का स्तर काफी उंचा उठ जायेगा . आप मेरा ये स्तम्भ मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक हमारा महानगर में भी हर रविवार पढ़ .सकते हैं . अगले सप्ताह फिर आपसे बात होगी .
आपका अपना
रवि किशन

Saturday, 14 January 2012

बहुत ही सुखद है ये एहसास


आप सभी को आपके अपने रविकिशन शुक्ल का प्रणाम . अभी अभी पटना से लौटा हूँ और आपसे रु ब रु हो रहा हूँ . मैं कल रिलीज़ हुई अपनी फिल्म चालीस चौरासी के प्रोमोशन के लिए नसीर साहब, अतुल और अपने निर्देशक ह्रदय शेट्टी के साथ वहाँ गया था. इस बारे में मैं आपसे थोड़ी देर बाद चर्चा करूँगा , सबसे पहले आप सभी को मकर संक्रांति की ढेरो बधाई. कल मकर संक्रांति का त्यौहार है . आज ही से त्योहारों का सिलसिला शुरू हो रहा है. आप लोगों को तो पता ही है की १४ दिसम्बर से १४ जनवरी का समय खरमास के नाम से जाना जाता है और अपने यू पी बिहार में इस दौरान किसी भी अच्छे काम को नहीं किया जाता है . मकर संक्रान्ति से अच्छे दिनों की शुरुआत होती है . मुंबई में तिल गूळ ध्या आणि गोड़ गोड़ बोला कहकर हम एक दुसरे को इस त्योहार की बधाई देते हैं . आपको जानकार आश्चर्य होगा की मकर संक्रांति का त्यौहार देश के कोने कोने में अलग अलग नाम से मनाया जाता है और किसी अन्य त्योहार के इतने रूप नहीं होते जितने की इस त्योहार का होता है. हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है . इस दिन अंधेरा होते ही आग जलाकर अग्नि पूजा करते हुए तिल,गुड़, चावल और भुने हुए मक्के की आहुति दी जाती है, बंगाल में इस पर्व पर स्नान पश्चात तिल दान करने की प्रथा है, तमिलनाडु में इस त्योहार को पोंगल के रूप में चार दिन तक मनाते हैं तो असम में मकर संक्रांति को माघ-बिहू अथवा भोगाली-बिहू के नाम से मनाते हैं. राजस्थान में इस पर्व पर सुहागन महिलाएं अपनी सास को वायना देकर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. इस त्यौहार पर आपसी भाई चारा और भी मजबूत हो जाता है . मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ की ये भाई चारा कायम रहे. खैर मैं बात कर रहा था आज के अपने ख़ास दिन के बारे में . अपने बीस साल के फिल्मी कैरियर में ऐसा पहली बार हुआ है जब तीन अलग अलग फिल्मो के माध्यम से देश के कोने कोने के हर शहर और कसबे के सिनेमा घरो तक मैं पहुच गया हूँ. कल मेरी तीन फिल्मे रिलीज हुई है दो भोजपुरी की और एक हिंदी की . सबसे पहले मैं भोजपुरी की चर्चा करूँगा क्योंकि मेरे दिल के करीब यही सबसे ज्यादा है. मुंबई में मेरी फिल्म मल्लयुद्ध लगभग तीस सिनेमाघरों में रिलीज हुई है और मुझे पता चला है की आपलोगों ने हमेशा की तरह मेरी हर फिल्मो जैसा प्यार इस फिल्म को दिया है . जैसा की मैं आपलोगों को ऊपर बता चुका हूँ की मैं पटना आया हुआ था अपनी फिल्म चालीस चैरासी की पूरी टीम के साथ . पटना के लोगो ने हमेशा मुझे अपना प्यार और आशीर्वाद दिया है. लेकिन कल जिस तरह से पटना एअरपोर्ट पर स्वागत हुआ उससे अभिभूत हो गया या यू कहे की उनका और बड़ा कर्ज मुझपर चढ़ गया तो कोई गलत नहीं होगा. पटना को हमेशा से मैंने अपना ही घर माना है और यहाँ आना मतलब अपने घर आने जैसा ही है . लेकिन इस बार लोगो का स्नेह मेरे प्रति कुछ ज्यादा ही दिख रहा था . यही नहीं बिहार के कोने कोने में आज रिलीज हुई मेरी फिल्म चल रही है और चालीस चौरासी के साथ साथ रिलीज हुई मेरी दूसरी फिल्म केहू हमसे जीत ना पाई को भी अच्छी शुरुवात मिली है. साल के शुरुवात में रिलीज हुई मेरी तीनो फिल्मो को आप लोगो ने इतना प्यार दिया उससे मैं अभिभूत हूँ . मिडिया ने भी पिछले १५ दिनों से हमें काफी पब्लिसिटी दिया है , यही नहीं चालीस चैरासी फिल्म की समीक्षा में भी फिल्म और हमारे अभिनय की तारिफ की है . सच पूछिए तो इससे मनोबल बढ़ता है . वैसे इस साल कई अच्छी फिल्मो में आप मुझे देख सकते हैं और हर फिल्म में अंदाज अलग अलग है. आप मेरा ये स्तम्भ आप कल हमारा महानगर में भी पढ़ सकते हैं .
आपका
रवि किशन

Saturday, 7 January 2012

चालीस चौरासी का जोरदार प्रोमोशन


आप सभी को आपके अपने रवि किशन का प्रणाम. पिछले रविवार को मैं हिमालय की सर्द वादियों से आपसे अपने मन की बात बयान किया था , अब छुट्टी समाप्त हो गयी है और फिर से अपने रूटीन में लग गया हूँ . फिलहाल दो दिनों तक दिल्ली में बिताने के बाद कल मुंबई आया हूँ और अभी इंदौर जा रहा हूँ. १३ जनवरी को रिलीज़ हो रही फिल्म चालीस चौरासी के प्रोमोशन के लिए . मेरे साथ नसीर साहब , फिल्म के निर्देशक ह्रदय शेट्टी भी हैं. मेरे बीस साल के फ़िल्मी कैरियर में ऐसा पहली बार हुआ है जब लगातार आठ दिनों तक किसी फिल्म के प्रोमोशन में रहने और अपने दर्शको से सीधा संवाद करने का मौका मिला है . वैसे भोजपुरी फिल्मो के प्रोमोशन के लिए अक्सर पटना और बनारस जाने का मौका मिलता रहता है लेकिन वो प्रोमोशन एक से दो दिन का होता है . खैर इस बारे में आगे आपसे चर्चा करूँगा फिलहाल अपने परिवार के साथ बिताये पल आप से ज़रूर बांटना चाहूँगा . पिछले सप्ताह मैंने इस अद्भुत पल का जिक्र किया था , दरअसल काम में व्यस्तता के कारण परिवार को समय देना थोडा मुश्किल हो जाता है , लगातार मुंबई से बाहर शूटिंग करने के कारण इतना समय नहीं मिलता है की अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कुल समय बीता सकूँ , उनकी भावनाओ को जान सकूँ . इसीलिए साल के आखिरी कुछ दिनों को मैंने खुद को अपने परिवार के हवाले कर दिया और छुट्टी बिताने के लिए जगह चुना शिमला, मनाली जैसे बर्फीली वादियों को . कडाके के ठंढ के बीच पांच दिन का ये वक़्त कैसे बीत गया , पता ही नहीं चला .बुधवार को हमें वापस लौटना था , लम्बे सड़क मार्ग से सफ़र तय कर चंडीगढ़ पंहुचा तो कोहरे के कारण हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था, यहाँ पहुच कर पता चला की की कोई भी जहाज मुंबई के लिए नहीं जा पायेगी क्योंकि कोहरे के कारण कुछ भी दिख नहीं रहा था , मुझे मुंबई वापस आकर अगले दिन दिल्ली आना था चालीस चौरासी के प्रोमोशन के लिए . खैर मुंबई आने का इरादा त्याग कर सड़क मार्ग से दिल्ली आया . सफ़र बहुत उबाऊ था क्योंकि गाडी चल नहीं रेंग रही थी . मैंने भी अपने ड्राइवर को कहा की कोई जल्दी नहीं है . गुरूवार और शुक्रवार को दिन भर कई ठिकानो पर आम दर्शको के मिलकर काफी सुखद एहसास हुआ , शुक्रवार को दिल्ली से वापस लौटने के बाद शनिवार को पूना गया , दोनों ही जगह आम दर्शको और मिडिया का अभूतपूर्व प्रतिसाद मिला , हम पूना से शाम वापस आ गए क्योंकि मुझे मुंबई पुलिस द्वारा हर साल आयोजित किये जाने वाले स्टार नाईट उमंग में मौजूद रहना था. आज चालीस चौरासी की पूरी टीम को पहले पटना फिर इंदौर जाना था लेकिन किसी कारण बस पटना का कार्यक्रम पांच दिनों के लिए ताल गया है. इन प्रोमोशन के दौरान हमने महसूस किया की हम सफलता के पथ पर आगे बढ़ते हैं और उन्हें ही समय नहीं देते जिन्होंने हमें इस काबिल बनाया . आप समझ ही गए होंगे की मैं आप लोगो की बात कर रहा हूँ जो हमें देखने के लिए टिकट निकाल कर सिनेमा हॉल में जाते हैं , मुंबई के हमारे दर्शक तो हम सभी सितारों को यदा कदा नज़र आ भी जाते हैं लेकिन दूर दराज़ के लोग इससे बंचित रह जाते हैं . भोजपुरी फिल्मो में तो जनता से सीधा संवाद स्थापित करने की परंपरा नहीं रही है , लेकिन हिंदी फिल्म जगत वाले महानगरो में इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं , लेकिन मैं तारिफ करना चाहूँगा चालीस चौरासी के निर्देशक ह्रदय शेट्टी का जिन्होंने महानगरो के साथ साथ उन शहरो में भी फिल्म का प्रोमोशन करने का फैसला किया जहाँ कभी कभार ही फ़िल्मी कलाकार किसी फिल्म के प्रोमोशन के लिए जाते हैं . ह्रदय ने आठ दिन के प्रोमोशन में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, इंदौर , पटना , पुणे , अहमदाबाद जैसे शहरों को चुना है .
. प्रोमोशन का कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो इसके लिए विशेष विमान की व्यवस्था की गयी है , प्रोमोशन के आखिरी दिन मुंबई में गुरूवार को फिल्म का प्रीमियर है . मुझे ख़ुशी है की एक अच्छी फिल्म को हम आम लोगो तक सीधा पहुचाने की दिशा में सार्थक कदम उठा रहे हैं. इस प्रोमोशन का हिस्सा बनकर मुझे लगा की अगर भोजपुरी फिल्मो का प्रोमोशन भी कुछ इसी तरह हो तो निर्माता को काफी फायदा होता है . मैं इस दिशा में आगे बढ़ रहा हूँ और फरबरी में रिलीज़ हो रही अपनी भोजपुरी फिल्म कईसन पियवा के चरित्तर बा को ढंग से प्रमोट करूँगा . मैं भोजपुरी फिल्मो के निर्माता निर्देशकों से भी अपील करता हूँ की वो इस बारे में सोचे ताकि इसका फायदा फिल्म को हो. अंत में मैं आप लोगो से गुजारिश करूँगा की चालीस चौरासी अवश्य देखें , फिल्म देखकर आपको लगेगा की आपका पैसा वसूल हो गया है, क्योंकि इंटरटेनमेंट का भरपूर मसाला है इस फिल्म में . हम चारो की केमेस्ट्री काफी अच्छी है जिसे देखकर आप कह उठेंगे - बहुत ही प्यार से बनी है ये फिल्म . आप मेरा ये स्तम्भ आप हर रविवार मुंबई और पुणे से प्रकाशित लोकप्रिय हिंदी दैनिक हमारा महानगर में भी पढ़ सकते हैं अगले हफ्ते फिर मुलाकात होगी . तब तक के लिए आपसे विदा चाहता हूँ .
आपका अपना
रवि किशन