Sunday, 30 December 2012

अलविदा 2012 स्वागतम 2013


आप सभी को आपके अपने रवि किशन का प्रणाम . साल 2012 का आज आखिरी दिन है और कल  हम नए साल में प्रवेश कर जायेंगे , अर्थात इस साल मैं आखिरी बार अपने दिल का हाल आपसे बयान कर रहा हूँ . इसीलिए सबसे पहले आप सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाये। सबसे पहले आप सभी को नए साल की ढेर सारी बधाई , आने वाले साल में आपके सारे सपने पूरे हो यही दुआ है मेरी। जब भी साल की समाप्ति होती है हर कोई पूरे साल में क्या खोया क्या पाया यह सोचता जरुर है . हर इंसान नव बर्ष के आगमन पर अपने उन सपनो के बारे में सोचता है जिसे वो पिछले साल पूरा नहीं कर पाया है, जो अधुरा रह गया है . यानी वह अपने हर काम का आकलन करता है . जहां तक मेरी बात है तो साल 2012 मेरे लिए एक बहुत ही अच्छा साल रहा है . इस साल भी मेरी रिलीज़ फिल्मो की संख्या सबसे अधिक रही है . हिंदी और भोजपुरी मिला कर इस साल मेरी 11 फिल्मे रिलीज़ हुई है जिनमे हिंदी में चालीस चौरासी , डेंजरस इश्क, जीना है तो ठोक  डाल , भोजपुरी में  कैसन पियवा के चरित्तर बा, ज्वालामंडी , केहू हमसे जीत ना पाई आदि प्रमुख है . हम कलाकार लोग हमेशा चाहते हैं की उसे दर्शको का प्यार मिलता रहे क्योंकि उस से ही हमें ऊर्जा मिलती है , ताकत मिलती है और नए जोश का संचार होता है . अपने माता पिता के आशीर्वाद से मुझे आप लोगो का भरपूर प्यार मिलता रहा है और मैं जहां भी गया आप लोगो ने मुझे सराहा। यह आपका प्यार ही है की मुझे सिर्फ अपने देश में ही नहीं विदेश में भी सम्मान मिला . आपको याद होगा की मुझे मौरिशास सरकार ने भोजपुरिया महानायक व भोजपुरी के भागीरथी के अवार्ड से सम्मानित किया था और भोजपुरी फिल्म जगत का मैं एकलौता कलकार हूँ जिसे वहाँ आयोजित अप्रवासी भारतीय दिवस में बतौर स्पीकर आमंत्रित किया गया था। यह सम्मान कहने को तो मुझे अब तक मिले सौ से भी अधिक अवार्ड और सम्मान का एक हिस्सा है लेकिन असल में यह सम्मान सिर्फ मेरा नहीं पूरे भोजपुरिया समाज और भोजपुरी फिल्म इंडसट्रीज़ का था। यह  आपका मेरे प्रति प्यार ही है की मैं जब सेलिब्रेटी डांस शो झलक दिखला जा का हिस्सा बना तो आप लोगो के वोट ने ही मुझे लम्बे समय तक वहाँ टिकाये रखा , वरना मुझ जैसे ठुमका लगाने वाले के लिए तरह तरह के डांस को अंजाम देना आसान नहीं था . इस साल में मेरी एक बड़ी उपलब्धि यह भी रही की मैंने बतौर मुख्य कलाकार एक मराठी फिल्म मध्यमवर्ग की शूटिंग की और फिल्म जल्द ही महाराष्ट्र के सिनेमाघरों में होंगी .  साल 2012 की बात करूँ तो यह साल काफी सारे गम भी दे गया . बॉलीवुड को सबसे बड़ा नुकसान हुआ यश चोपड़ा और राजे श खन्ना के चले जाने से। राजेश खन्ना तो खैर लंबी बीमारी से जूझ रहे थे और लगभग रिटायर जिंदगी जी रहे थे पर यश चोपड़ा तो आज भी सक्रिय थे। उनकी शाहरुख खान, कैटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा अभिनीत रोमांटिक फिल्म ˜जब तक है जान उनकी मृत्यु उपरांत रिलीज हुई थी। यश चोपड़ा का जाना रोमांस फिल्मों के एक युग की समाप्ति जैसा था . यश चोपड़ा के बड़े भाई बीआर चोपड़ा की फिल्म ˜वक्त  की जोहरा जबीं यानी अचला सचदेव का भी इसी साल 30 अप्रैल को निधन हो गया। पाकिस्तान में जन्मीं अचला ने  ˜फैशनेबल वाइफ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। ˜ऐ मेरी जोहरा जबीं  जैसा रोमांटिक गीत उन पर ही पिक्चराइज हुआ, जो आज तक यादगार है। इसी तरह दारा सिंह भी इस साल ही हमें छोड़ गए। उन्होंने कई धार्मिक फिल्मों में हनुमान, बलराम, भीम जैसे बलशाली पौराणिक कैरेक्टर किये। उन्हें उनकी सेवाओं के लिए राज्यसभा में भेजा गया था। अवतार कृष्ण हंगल उर्फ एके हंगल का लंबी बीमारी के बाद 26 अगस्त को 95 साल की उम्र में निधन हो गया। स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने वाले हंगल थियेटर के बड़े नाम थे। उन्होंने हिन्दी फिल्मों में हमेशा कैरेक्टर रोल ही किये। फिल्म ˜शोले  के इमाम साहब के रूप में उन्हें आज भी याद किया जाता है। साठ के दशक के चॉकलेटी ब्वॉय जॉय मुखर्जी का जाना काफी दुखद घटना रही इस साल की . अपने कटाक्ष से हर घर तक अपनी पहुच बनाने में सफल रहे हास्य व्यंग के बादशाह जसपाल भट्टी भी साल 2012 में हमें अलविदा कह गए। भगवान् मनोरंजन जगत के इन धुरंधरो की आत्मा को शांति प्रदान करे . अंत में मैं लोगो से इस साल अलविदा लेते हुए अगले साल भी आप लोगो का भरपूर मनोरंजन का वादा करता हूँ . अगले साल हिंदी में मेरी फिल्म मोहल्ला अस्सी, जिला गाजियाबाद, इश्क, लकी कबूतर , मेरे डैडी की मारुती, और बजाते रहो आप लोगो के सामने होंगी जबकि भोजपुरी में धुरंधर, छपरा के प्रेम कहानी प्रतिबन्ध, जीना तेरी गली में, बिजयी भवः, के साथ साथ मेरी कई फिल्मे रिलीज़ होंगी . चलते चलते एक बार फिर आप सबको को नए साल की हार्दिक बधाई .
आपका
रवि किशन

Friday, 21 December 2012

शर्मसार हुई इंसानियत

 
आप सभी को आपके अपने रवि  किशन का प्रणाम . आज आपसे अपने दिल की बात करते हुए मन कुछ अशांत है। बात ही ऐसी है , पता नहीं दुनिया इतनी बेरहम कैसे हो गयी है . दिल्ली में जो कुछ भी हुआ उस से इंसानियत शर्मसार हुई है . भगवान् ने इस दुनिया को बनाया और सभी जीव जंतु में सिर्फ हम इंसानों को ही इतनी अक्ल दी की हम इस दुनिया को चला सके पर क्या कर रहा है इंसान ? एक बेबस लाचार लड़की के साथ जिस तरह कुकर्म किया गया उसकी जितनी निंदा की जाये कम है . दिल्ली हमारे देश की राजधानी है और अगर वहाँ ही हमारी माँ बहने सुरक्षित नहीं है तो दूर दराज के गाँव में क्या हालत होंगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। आज ही मैंने समाचार पत्र में सिलीगुड़ी की एक घटना पढ़ी जहां 6 दरिंदो ने एक अबला की इज्जत लूटने के बाद उसकी हत्या कर दी। यह कोई नयी घटना नहीं है, आये दिन या यूँ कहें की  रोज़ अखबारों में कहीं नहीं कहीं की इस तरह की घटना का जिक्र रहता ही है। सवाल उठता है आखिर हम इतने गिर क्यों गए हैं ? क़ानून का डर हमें क्यों नहीं है ? बलिया की जिस लड़की के साथ जो कुछ भी हुआ और उसके बाद आम लोगो में जिस तरह की जागरूकता या विरोध हुआ , यह हर ऐसी घटना में होनी चाहिए . कुकर्मियों को कानून का डर नहीं है पर जब आम इंसान इसके खिलाफ उठ खडा हुआ तो इन अधर्मियों की हिम्मत इस तरह के कुकर्म की नहीं होगी। हर इंसान किसी न किसी माँ का बेटा होता है, किसी बहन का भाई और क्किसी का बाप . अगर उन कुकर्मियों को यह एहसास हो जाये की उसकी भी कोई बहन है , उसकी भी बेटी है और उसकी भी माँ है तो इस तरह की घटना कभी नहीं होगी। हम जिस समाज में जन्म लेते हैं उस समाज के प्रति भी हमारा कोई दायित्य होता है , पर अफ़सोस की बात तो यह है की आधुनिकता के इस दौर में लोग अपना कर्त्तव्य भूल गए हैं , हर छोटी घटना के खिलाफ भी अगर हम एक जुट हो जाएँ तो कभी कोई बड़ी घटना कभी भी  नहीं होगी . पर हम अक्सर तब जागते हैं जब खुद पर बात आती है . ये अच्छी बात है की आज पूरा देश दिल्ली की घटना के खिलाफ एक जुट हो गया है . हमें इस एक जुटता का बरकरार रखना होगा . यह इंसानी फितरत है की किसी एक की बात भले ना सुनी जाये पर उसी बात को अगर सौ लोग बोले तो उसकी बात को कोई अनसुना नहीं कर सकता . खैर, मैं इस तरह की शिकार हुई तमाम बहनों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूँ . उन  कुकर्मियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कारवाई की जानी चाहिए ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृति ना हो . अंत में मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ इस मानसिकता के कुकर्मी  का हर तरह से विरोध करें ताकि हमारी माँ , बहने और बेटी निडर होकर जी सके . अगले शनिवार फिर आपसे बात होगी .
 आपका रवि किशन